Book Title: Surya Sahasra Nam Sangraha Trayam
Author(s): Dharmdhurandharsuri
Publisher: Jain Vidya Shodh Samsthan

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Page 163
________________ श्रीसूर्यसहस्रनामसङ्घात्रयम् अयुगेकशफः सप्ततुरङ्गो शिशिरद्युतिः / महेन्द्रोऽसमतुरगो समवाजी मह:प्रभुः // 10 // असमैकशफः सप्तहयोऽसमतुरङ्गमः / शोचिःकरः प्रभापाणिरुम्रपाणिप्रूणीश्वरः // 11 // शोचि:पाणिरंशुहस्तो, रोचि:पाणिषुबान्धवः / धामहस्त: प्रभाहस्त: केतुहस्त: पटुप्रभः // 12 // . समेतरहरिः सप्तहरिः सप्ततुरङ्गमः। अद्रिरम्भोजिनीनाथोऽभोजिनीशोऽब्जिनीप्रियः // 13 / / // इति सूर्यसहस्रनामसङ्ग्रहे अष्टमः प्रकाशः // गोहस्त: किरणकरः, केतुपाणिर्दिवध्वजः / गोपाणि: किरणपाणिरंशुपाणिर्दिवाध्वगः // 1 // ज्योति:करो दिवाध्वन्यो ज्योतिईस्तोऽब्ज़बान्धवः / ज्योतिपाणिर्विभापाणिरहिस्तोऽब्जिनीपतिः / / 2 / / घृणिपाणिणिहस्तः पृश्निपाणिर्मयूखराट् / पृश्निहस्तः पृष्णिकरः, पृष्णिपाणिरह:सुहृत् // 3 // पृष्णिहस्तः पृष्णिकरो, वृष्णिपाणिरशीतनः / वृष्णिहस्तो वृष्णिकरो, रश्मिहस्तोऽजडद्युतिः // 4 // रश्मिपाणी रश्मिकरस्त्विट्करः पद्मिनीप्रियः। द्युतिपाणिर्युतिकरो, द्युतिहस्तो जडत्विषिः / / 5 / / भानुपाणिर्भानुकरो, भानुहस्तो जडप्रभः / चण्डशोचिश्चण्डरोचिश्चण्डोस्रचण्डदीधितिः // 6 // .............. / .............. // 7 // 158

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