Book Title: Surya Sahasra Nam Sangraha Trayam
Author(s): Dharmdhurandharsuri
Publisher: Jain Vidya Shodh Samsthan

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Page 162
________________ .. श्रीसूर्यसहस्रनामसात्रयम् छविकान्तो महःस्वामी, घुतांकान्तो द्युतांप्रभुः। पादाधीश: करभर्ता, करराज: करेशिता // 12 // सरसीरुहिणीप्रेयान्, शिशिरेतरदीधितिः / सुपर्वपदवीपान्यो, नक्षत्रनिगमध्वजः / / 13 / / // इति सूर्यसहस्रनामसङ्ग्रहे सप्तमः प्रकाशः / / सप्तसप्तिरयुक्सप्तिः, सप्तवाहः कुमुद्रिपुः / सप्तवीतिरयुग्वाजी, सप्तवाजी कुमुत्परः // 1 // सप्ताश्वः कुमुदारातिः, सप्ततायः कुमुद्द्विषत् / सप्तार्वा कुमुदद्वेषी, सप्तहेषी दिवासखः / / 2 / / कुमुच्छत्रुरयुग्वाहः, कुमुद्दस्युरयुग्हयः / कुमुदविट् सप्ततुरगोऽसमाश्वः सप्तपाकलः // 3 // अयुग्हरिरयुक्कुण्डी, शुष्मं सप्तप्रकीर्णकः / सप्तहंसः कुमुद्वैरी, सप्तकिण्वी महःशयः // 4 // अयुग्हंसो दिनस्निग्धो, महेश: सप्तकेशरी। सप्तप्रोथी दिवस्निग्धोऽ-समसप्तिमहोधिपः // 5 // अयुग्वीतिरयुक्प्रोथी, घुसखोऽसमकेसरी। अयुक्केसर्यहरिधोऽसमाऽसमपाकलः // 6 // सप्तकुण्डी दिवास्निग्धोऽ-समकिण्वी महाधिभूः / ... अयुगश्वोऽम्बुरुट्निग्धोऽसमवाहो महेशिता / / 7 / / अयुगर्वा धुवयस्यो समवीतिमहेश्वरः / अयुग्हेषी महाधीशोऽसमहंसो महःशमः // 8 // अयुक्किण्वी दिनसखोऽसमप्रोथी विभाशमः / अयुक्तायो महनेता, समताक्ष्यों महःप्रभुः // 9 // 157

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