Book Title: Sukhi hone ki Chabi
Author(s): Jayesh Mohanlal Sheth
Publisher: Shailesh Punamchand Shah

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Page 6
________________ می श्री महावीराय नमः सुखी होने की चाबी सर्व प्रथम पंच परमेष्ठी भगवंतों को नमस्कार करके, हम सुखी होने की चाबी के विषय में लिखने का प्रयत्न करते हैं, क्योंकि सर्व जीव सुख के ही अर्थी होते हैं, दुःख से तो सर्व जीव दूर ही रहने का प्रयत्न करते हैं । वे सुख दो प्रकार के हैं एक शारीरिक इन्द्रियजन्य सुख, जो कि क्षणिक (TEMPORARY) है और दूसरा आत्मिक सुख जो कि शाश्वत (PERMANENT) है। - प्रथम हम शारीरिक इन्द्रियजनित सुख के विषय में बतायेंगे, क्योंकि उससे सर्व जीव चिर-परिचित हैं। वैसे संसारी जीवों को सुख याने उत्तम स्वास्थ्य (HEALTH), भरपूर पैसे (WEALTH) तथा अनुकूल पत्नी, पुत्र इत्यादि परिवार (GOOD FAMILY)। इस सर्व सुख का स्रोत (SOURCE) क्या है? तो आप कहोगे कि सौभाग्य ( GOOD LUCK ) । तो प्रश्न होगा कि सौभाग्य मिलता किस प्रकार है? बनता किस प्रकार है ? तो उसका उत्तर है कि पुण्य से। क्योंकि जो अपना पूर्व पुण्य है, उसे ही सौभाग्य कहते हैं। जबकि पूर्व पापों को दुर्भाग्य (BAD LUCK) कहा जाता है। इस कारण जिन्हें अपना नसीब सुखी होने की चाबी : १

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