Book Title: Sukhi hone ki Chabi
Author(s): Jayesh Mohanlal Sheth
Publisher: Shailesh Punamchand Shah

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Page 35
________________ समाधिमरण चिंतन सर्व प्रथम यह समझना आवश्यक है कि मरण अर्थात् क्या? और वास्तव में मरण किसका होता है? उत्तर : आत्मा तो अमर होने से कभी मरण को पाता ही नहीं, परंतु वास्तव में आत्मा का पुद्गलरूप शरीर के साथ एकक्षेत्रावगाह संबंध का अंत आता है, उसे ही मरण कहा जाता है। इसलिए मरण अर्थात् आत्मा का एक शरीर छोड़कर दूसरे शरीर में जाना। संसार में कोई एक घर छोड़कर, दूसरे अच्छे घर में रहने जाता है अथवा कोई पराने कपडे बदलकर नये कपडे पहनता है, तब शोक करते ज्ञात नहीं होता। ट्रेन में सब अपने-अपने स्टेशन आने पर उतर जाते हैं परंतु कोई उसका शोक करते ज्ञात नहीं होता: तो मरण के प्रसंग में शोक क्यों होता है? इसका सबसे बड़ा कारण है मोह, अर्थात् उन्हें अपना माना था, इसलिए शोक होता है। सब कोई जानते है कि एक दिन सबको इस दुनिया से जाना है, तथापि अपने विषय में कभी कोई विचार नहीं करते और उसके लिए अर्थात् समाधिमरण की तैयारी भी नहीं करते। इसलिए सर्व को अपने समाधिमरण के विषय में विचार कर, उसके लिए तैयारी करने योग्य है। ३० * सुखी होने की चाबी

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