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જૈન ઇતિહાસના ઊંડા અભ્યાસી,
मा पूरय
नाहर खेम थे, श्री. भे. सत्ता.
"... प्रस्तुत (सुभाषित- -पद्य - रत्नाकर) ग्रंथ की उपयोगिता और महत्व के विषय में अधिक लिखने की आवश्यकता नहीं । अनुक्रममिका से हो ज्ञात होगा कि नाना विषयों पर जैन अजैन नाना ग्रंथों से ये श्लोक संग्रह किये गये हैं जिन में तत्वज्ञान विषय का ही बाहुल्य है । साहित्य में ऐसे ग्रंथ का अभाव था । इस संग्रह से उस प्रभाव की बहुत-सी पूर्ति होना संभव है और हमें केवल आशा ही नहीं परन्तु विश्वास है कि ग्रंथ का प्रचार होने से जैनेतर विद्वान् भी इसे काम में लावेंगे ... ।
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' संग्रह ग्रन्थकर्त्ता का विशाल ज्ञान और साहित्यप्रेम का द्योतक है ।
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અજમેરની ગવર્નમેટ કૅલેજના પ્રેફેસર, શ્રીમાન્
पंडित रामेश्वर गौरीशं३२ मोजा, म..
"... मुनिराज श्री विशालविजयजी के प्रस्तुत (सुभाषित पद्य-रत्नाकर भाग १ के ) संकलन में कतिपय उल्लेखनीय विशेषताएँ हैं । इस पुस्तक मं धार्मिक तथा व्यावहारिक जीवन के भिन्न भिन्न उपयोगी विषयों के उत्कृष्ट श्लोकों का उत्तम रीति से सानुवाइ संकलन किया गया है । यह पुस्तक वक्ता और वाचक दोनों के लिए पूर्ण उपयोगी है । × × × अव तक प्रकाशित अन्य सुभाषित संग्रहों में एक एक विषय के श्लोकों का संग्रहमात्र किया गया है, किन्तु इस में प्रत्येक मुख्य विषय के अवान्तर विषयों के उत्तमोत्तम श्लोकों का सशीर्षक संकलन हुआ है । पहले के संकलन कर्त्ताओं ने