Book Title: Stotrabhanu Author(s): Nandanvijay Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुमतिधाम सदा सुमतिप्रभुम् ॥ २॥ सकलसंमृतिदुःखमहोत्पलं हिम इवाभिददाह य इष्टदः ॥ निरुपमः प्रशमाब्धिरसो विभुर्जयति मेघसुनन्दन ईश्वरः ॥३॥ ॥ श्रीपद्मनाथचैत्यवन्दनम् ॥ (शालिनी) रागद्वेषारण्यमाशु प्रघोरं दाह्य दग्धं यत्प्रभासाऽग्निनेव। भव्योधानां त सुसीमात्मजस्य भूत्यै भूयात्पादपाथोजयुग्मम् ॥१॥ दुष्टाज्ञानदृषिसघातशूर सुज़श्रेष्ठ प्राज्ञगम्य प्रधान । दिव्यज्ञान श्रीपते पद्मनाथ मुक्तीशानाभ्यर्चनीयोऽसि मे स्वम् ॥२॥ देवाधीशं सर्वकल्याणवल्लिम् विश्वख्यातं पूजनीयं नृदेवैः। पद्मं पद्मं विश्वभव्यदिरेफैः नित्यं वन्दे नन्दनं श्रीधरस्य ॥३॥ For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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