Book Title: Stotrabhanu
Author(s): Nandanvijay
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रददाह सदाऽस्तु यस्य स, विमलेशस्तनिता शिवस्य नः।।२।। (युग्मम्) शिवधाम सुराधिपैर्नुत, त्वमनीशाय जिनाप्तचन्द्रमः ॥ कृतपुष्पशराहितक्षय, जय नित्यं सुतवर्मनन्दन ॥३॥ ॥ अनन्तनाथचैत्यवन्दनम् ।। __ (रथोद्धता) जात्यसर्वगुणवारिधिं वरं, भव्यधाम विगतस्पृहं सदा ।। प्रासजन्मविरहं चतुर्दश,स्तौम्यनन्तजिनपं मुहुर्मुहुः॥१॥ रागरोषपरुषान्धकारक, त्वं प्रगच्छ बहुदरमाशु रे ॥ अत्र मे सुहृदयोदयाचलेऽनन्तनाथतरणिः प्रकाशते॥२॥ सिंहसेनतनयः सुरस्तुतः, श्रेयसे त्रिभुवनेश्वरः सदा ॥ अस्स्वनन्तगुणरत्नवारिधि-भव्यदेहिसुखनन्दनःप्रभुः॥३॥ ।। श्रीधर्मनाथचैत्यवन्दनम् ॥ (हरिणी) भुवनजलजोद्योतबध्नं तपोधनधारिणं भुवनभविनां पीडावारापहं जगदीश्वरम् ॥ प्रवहणवर संसाराब्धौ महागहने विभुं शमसुखपदं भानोः सूनुं स्तवीमि सदा मुदा॥१॥ अनुपमगुणो भव्यौपानामनादिभवापहः For Private And Personal Use Only

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