Book Title: Stotrabhanu
Author(s): Nandanvijay
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२४) ॥श्रीचतुर्विंशतिजिनस्तवः॥ ॥ उपजातिः॥ विज्ञातसात्ममनःस्थभावमुक्षाङ्किनं प्राप्तभवाब्धिपारम् ॥ हतोपसर्गबजमादिनाथं नमामि नाभेयमनन्तवीर्यम् ॥१॥ प्रणीतधर्माणमपेतदोषं बिन्दूकृतापारभवाम्बुराशिम् ॥ व्याप्तप्रतापं भुवनेऽजितं तं स्तवीमि नित्यं भुवनत्रयेशम् ॥ २ ॥ श्रीजैनधर्माम्बरसतवाह भव्यात्मनां पापभरं हरन्तम् ॥ जितारिजातं जिनसंभवेशं सदैव मोक्षाधिपतिं स्तुवेऽहम् ॥ ३॥ मुक्तीश आनन्दसरस्सु हंसः श्रुतार्णवेन्दुस्सुखदायिनाथः॥ स तीर्थकृद्देवनरेशपूज्योऽभिनन्दनस्ताद्भविनां हिताय ॥४ ययावनन्ताचलमुक्तिवासं यस्तं महामोहवनीहुताशम् ॥ प्रबोधपद्माकमधीशपद्मं For Private And Personal Use Only

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