Book Title: Stotrabhanu
Author(s): Nandanvijay
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१४ )
तारेशास्यो विदितसकलालोकलोकस्वरूपः शीघ्रं भव्यप्रशिवतनिता सोऽचिरानन्दनोऽस्तु ॥३॥
॥ श्री कुन्थुनाथचैत्यवन्दनम् || ( रथोद्धता ) भूतसंसृतिपयोधिपारक, प्राप्तकेवलविभासितांशुमन् ॥ सूरनन्दन शिवप्रदेधि मे, वं जिनैव शरणं वरं सदा ॥ १ ॥६ विश्ववन्य सुखमन्दिरेश्वर, रञ्जिताखिलजनौघ केवलिन् ॥ जन्मवायवधिमेतुमाशु नः शुद्धधर्मवर पोतदेशक ||२|| शाभमानभुवनत्रये सदा, सुप्रतापजलधे सुधीप्रद ॥ कुन्थुनाथ जगदीश्वर प्रभो, त्वां स्तुवे भविकवृन्दनन्दन ॥३॥ ( युग्मम् )
॥ अरनाथचैत्यवन्दनम् ॥ ( इन्द्रवज्रा )
अनन्तसौख्यास्पदसिद्धिगन्ता नष्टाभिलाषः प्रगताभिमानः ॥ धर्मोपदेष्टा वृजिनौघपेष्टा
कामारिदाता जनकामदाता ॥ १ ॥ आनन्दकल्लोलभृताम्बुराशिसायमानः कृतिवारप मे ॥ तीर्थकरो विश्वविभासमानो
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48