Book Title: Stotrabhanu
Author(s): Nandanvijay
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ( २१ ) सेव्यश्रीशान्तिनाथा निखिलजनमवन्त्यर्हदाज्ञां धरन्ती ॥ इष्टार्थ पूरयन्ती सकलसुखकरी शर्मवल्लिविंशाला सा निर्वाणी प्रदत्तां शुभमतिभविने श्रेष्ठमानन्दवारम् ॥४॥ || श्री नेमिनाथस्तुतिः ॥ ॥ उपजातिः || Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गत्वा गिरीन्द्रं गिरिनारमाप्त्वा वरव्रतं देवनरेन्द्रपूज्यम् || मुक्तिप्रियां स्नेहभराय आप स नेनिनाथोऽवतु विश्वभव्यान् ॥१॥ ये कर्मस जलदं महान्तं जहुः स्ववीर्यातुलवायुवृन्दैः ॥ ते सिद्धिसौधप्रतिभासमानाः सुरासुरस्तुत्यजिना जयन्तु ॥ २ ॥ प्रदग्धदोषौघविशालदावं नीतिप्रमाणप्रथितार्थतत्त्वम् ॥ मिथ्यान्धकारार्यमणं सदैव जैनागमं श्रेष्ठमहं स्वीमि ॥ ३ ॥ सम्यक्त्वरत्नं प्रमुदा धरन्ती त्रिशूलधात्री वरसङ्घपात्री ॥ For Private And Personal Use Only 1

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