Book Title: Stotrabhanu
Author(s): Nandanvijay
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ श्रीसुपार्श्वनाथचैत्यवन्दनम् ॥ (भुजङ्गप्रयातम्) सदा निर्जरेज्यो वरो विश्वनाथो गुणानां पयोधिर्जिनेशोऽमिताभः॥ पृथिव्यात्मजस्सर्वसौख्यप्रदाता प्रभुर्यच्छतान्मुक्तिऋद्धिं विशालाम् ॥१॥ महामोहराजारिवार कठोर मदोन्मत्तमातङ्गयूथं विशालम् ॥ पराजिग्य आयों महाकेसरीव स सुश्रेयसे सर्वदा स्तात् सुपार्श्वः॥२॥ शुभध्यानवारा भवावद्यरूपं मलं येन दूरं प्रगाढं कृतं द्राक् ॥ दयाया नदीकान्तमाखण्डलेज्यं प्रतिष्ठस्य राज्ञः स्तुवे नन्दनं तम् ॥३॥ ॥श्रीचन्द्रप्रभुचैत्यवन्दनम् ॥ ___ (आर्या) कृत्वा दूरं सहसा, रागद्वेषाम्बुदं महागहनम् ॥ यद्विज्ञानदिनेशः, सततं भासयति कृत्स्नार्थान् ॥१॥ सर्वज्ञेन्दुर्जिनप-श्चन्द्राकाङ्कितपदद्वितय ईशः॥ जन्माम्भोधि तीर्खा, सुखगेहं वरपदं प्राप॥२॥ For Private And Personal Use Only

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