Book Title: Sthanakvasi
Author(s): Aatmaramji Maharaj
Publisher: Lala Valayati Ram Kasturi Lal Jain

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Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir किया गया है और प्रस्तुत प्रकरण में दोनों अर्थ अभिप्रेत हैं। इसलिये यहाँ पर क्रमशः दोनों का ही विचार किया जाता है। द्रव्य स्थानक यद्यपि स्थान-स्थानक शब्द का प्रसिद्ध अर्थ अमुक प्रकारका क्षेत्र, भूमि या निवास करने की जगह * जैनागम-शब्दसंग्रह नाम के अर्द्धमागधी-गुजराती कोश में 'स्थान' शब्द के निम्नलिखित १९ अर्थ दिये हैं : ठाण-स्थान, पुं. न. (१) स्थान, ठेकाणुं, जगा, मकान, (२) काउसग्ग-कायाने जरापण हलाववी नहों ते (३) लेश्या के अध्यवसार्यो स्थान (४) कार्य (५) स्थिति करवी ते अधर्मास्तिकाया, लक्षण (६) आंकड़ानूं स्थान (७) उत्पत्ति स्थान-उपजवानूं ठेका' (८) अवकाश-भूमिप्रदेश (९) शरीर ने अमुकस्थितिमा राखq ते आसन (१०) पण्णवणाना बीजापदनुं नाम (११) त्रीजुं अंगसूत्र के जेमा एक थी दस प्रकार की वस्तुओंनूं वर्णन छ (१२) स्थितिपरिणाम (१३) स्थितिरूपगुण (१४) योग-मन-वचन-कायाना व्यापारना स्थानक (१५) ऊभा रहेq ते (१६) निवास देवू ते (१७) कारणनिमित्त (१८) प्रकार भेद (१९) ठाणांगसूत्रना ठाणानुं नाम । १९ अर्थों में से प्रस्तुत निबन्ध में द्रव्यरूप में स्थान, क्षेत्र, भूमि तथा भावरूप में स्थितिपरिणाम और स्थितिरूपगुण, इन अर्थों का ही ग्रहण अभीष्ट है। For Private and Personal Use Only

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