Book Title: Sramana 2001 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 158
________________ १०२२ or ० or ० or ० or ० ar mmmmm o ० or o ० r or r ur o mm १९२ or r २५ १५२ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार जीवसमास १२२ प्रवचनसारोद्धार १०२३ जीवसमास १२५ प्रवचनसारोद्धार १०२४ जीवसमास १३६ प्रवचनसारोद्धार १०२५ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार १०२६ जीवसमास १२३ प्रवचनसारोद्धार १०२७ जीवसमास १२४ प्रवचनसारोद्धार १०२८ जीवसमास १२७ प्रवचनसारोद्धार १०२९ जीवसमास १३० प्रवचनसारोद्धार जीवसमास १३२ प्रवचनसारोद्धार जीवसमास प्रवचनसारोद्धार जीवसमास प्रवचनसारोद्धार जीवसमास प्रवचनसारोद्धार ११३४ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार १३०३ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार १३११ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार १३१७ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार १३१९ जीवसमास प्रवचनसारोद्धार १३९१ जीवसमास १०३ प्रवचनसारोद्धार १३९४ जोइसकरंडग पइण्णयं* ८३ प्रवचनसारोद्धार १३९० जोइसकरंडग पइण्णय ८४ प्रवचनसारोद्धार १३९१ जोइसकरंडग पइण्णय ९५ प्रवचनसारोद्धार १०३४ ज्योतिष्करण्डक प्रकीर्णक ७९ प्रवचनसारोद्धार ज्योतिष्करण्डक प्रकीर्णक ७३ प्रवचनसारोद्धार १३९० ज्योतिष्करण्डक प्रकीर्णक ७४ प्रवचनसारोद्धार १३९१ तित्थोगालीपइण्णयं प्रवचनसारोद्धार तित्थोगालीपइण्णयं प्रवचनसारोद्धार तित्थोगालीपइण्णयं प्रवचनसारोद्धार १०३६ तित्योगालीपइण्णयं २२ प्रवचनसारोद्धार १०३७ तित्थोगालीपइण्णयं प्रवचनसारोद्धार * डॉ. श्री प्रकाश पाण्डेय द्वारा निर्दिष्ट गाथाओं के क्रमांक मुनि पद्मसेन विजयजी द्वारा दिये गये गाथा क्रमांक से भिन्न है । हो सकता है यह भिन्नता संस्करण भेद के कारण हो इनमें दस गाथाओं का अन्तर है। पद्मसेन विजयजी के संस्करण में इनका क्रमांक क्रमश: ७३, ७४ एवं ८५ है । ८२ ९८ or or m m or m १०२५ or १०३४ ४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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