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पार्श्वचन्द्रगच्छ की परमपूज्या साध्वी ॐ कारश्रीजी म०सा० अपनी अन्य शिष्याओं के साथ विद्यापीठ में पदार्पण कर चुकी हैं।
शतावधानी रतनचन्द्र पुस्तकालय की साज-सज्जा के नवीनीकरण हेतु अनुदान की प्रेरणा देने वाली
परमपूज्या आर्या साध्वी ॐकार श्रीजी म०सा० का संक्षिप्त परिचय
प०पू० प्रवर्तिनी, विदुषी साध्वी श्रीखांति श्रीजी म०सा० की शासनप्रभाविका शिष्या, प०पू० आर्या साध्वी ॐ कार श्रीजी म०स० जैन शासन की गौरव और पार्श्वचन्द्रगच्छ की अनमोल निधि हैं। परोपकार से भरा आपका सम्पूर्ण जीवन सभी को कल्याण मार्ग की ओर प्रेरित करता है। आपके विचारों में विशालता, व्यवहार में उदारता और स्वभाव में सरलता का सङ्गम है। आपका व्यक्तित्त्व तप, त्याग व संयम की तेजस्विता से प्रदीप्त, ज्ञान-ध्यान, जप व स्वाध्याय की सुगन्ध से सुरभित, सेवा, समत्व व समर्पणभाव की गरिमा से गौरवान्वित एवम् निस्पृहता व जनकल्याण की भावना से आलोकित है।
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आपने अपने गुरुणी मैया प्रवर्तिनी श्री खांतिश्रीजी म०सा० के श्रीचरणों में समर्पित रहकर तीस वर्ष तक गुरुकुलवास का सेवन किया है। आप सरलता की प्रतिभूर्त व वात्सल्यस्वरूपा हैं। आप गुरु आशीर्वाद प्राप्त सत्ताइस शिष्या - प्रशिष्याओं के संयम जीवन की सफल गुरुणी हैं। आप जैन शासन की महान् साध्वीरत्नों में से एक हैं। आपने अपने जीवन की अर्धशताब्दी का स्वर्णिमकाल धर्मप्रभावना व शासनसेवा में लगाया है। पार्श्वनाथ विद्यापीठ आपके चारित्र की हार्दिक अनुमोदना के साथ आपके दीर्घायुष्य की मंगल कामना करता है।
केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय की टीम पार्श्वनाथ विद्यापीठ में
१५ दिसम्बर को केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, मानव संसाधन विकास मन्त्रालय, नयी दिल्ली के २८ छात्र-छात्राओं का एक दल पार्श्वनाथ विद्यापीठ पहुँचा। इस दल का नेतृत्व हिन्दी निदेशालय के अनुसन्धान अधिकारी श्री उमाकान्त खुवालकर, सहायक अनुसन्धान अधिकारी श्री बी०एस० मीणा तथा श्री ए०के० माथुर एवं श्री प्रेम सिंह डियल कर रहे थे। यह दल केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किये जाने वाले छात्र भ्रमण दल के अन्तर्गत आया था जिसका मुख्य उद्देश्य देश के अहिन्दीभाषी छात्र-छात्राओं को हिन्दीभाषी क्षेत्रों में हो रहे हिन्दी से सम्बन्धित शैक्षणिक
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