Book Title: Sramana 2001 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 216
________________ २१० सवाल-जवाब, तौरेत के प्रश्न, पत्री कुरान आदि का उल्लेख है। चतर्थ अध्याय में महामति प्राणनाथ के दर्शन का विस्तृत परिचय है। इसके अन्तर्गत अक्षरातीत परब्रह्म परमात्मा, अक्षरब्रह्म, क्षरपुरुष, परमधाम, त्रिधा-सृष्टि, जीवसृष्टि, ईश्वरीयसृष्टि, ब्रह्मसृष्टि, सृष्टि-जगत, महाकारण जगत, माया, योगमाया, तारतम ज्ञान, तारतम का स्वरूप, आवेश तारतम, तारतम निधि, तारतम मन्त्र, तारतम का तारतम्य, तारतम दृष्टि और मोक्ष की चर्चा है। ___ पञ्चम अध्याय भक्ति एवं साधना से सम्बन्धित है। इसमें स्वलीलाद्वैत, एकेश्वरवाद, श्याम-श्यामा युगल स्वरूप की आराधना, अक्षरातीत परब्रह्म के आदेशधारी- श्रीकृष्ण- श्रीराजजी, आराध्य और आराधक, निष्काम भक्ति, अनन्य प्रेमलक्षणा माधुर्य भक्ति, पतिव्रत भाव, गोपी भाव, अलौकिकता, सखी भाव, प्रेमाभक्ति, प्रेम का उभय पक्ष, आत्म-जागृति, विरहानुभूति, दुःख, वैराग्य, आस्तिकता, निष्ठा, आत्मोत्सर्ग, सेवा, अहङ्कार का त्याग, गुण, अङ्ग और इन्द्रियों को माया से विमुख करना, आत्म-जागनी, शरणागति, आत्मपहचान, प्रियतम परमात्मा के गुणों का वर्णन, अपने अवगुणों का वर्णन, विनय, सुन्दरसाथ की जागनी, आत्मसाक्ष्य, मन की साधना, जीव की जागृतावस्था, साधना का लक्ष्य, मानवदेह की उपादेयता, शास्त्र-श्रवण, चिन्तन-मनन, मानसी सेवा, भक्ति के सोपान, बाह्य कर्मकाण्ड का विरोध, साधना में प्रेमतत्त्व का महत्त्व, माया में लिप्त सन्त-महन्तों की आलोचना, कबीर की साधना पद्धति को महत्त्वपूर्ण मानना, गृहस्थ जीवन में साधना सम्भव, शारीरिक कष्टों का निषेध, ज्ञान साधना, प्रेम-साधना आदि का विवरण है। छठां अध्याय लीला वर्णन की चर्चा करता है। इसमें ब्रजलीला, रासलीला, जागनीलीला, बेहदवाणी, श्रीमद्भागवतसार, लक्ष्मीजी का दृष्टान्त, ऋषि मार्कण्डेय एवं कातनी का दृष्टान्त वर्णित है। सातवां अध्याय भावपक्ष से सम्बन्धित है। आठवें अध्याय में प्रकाश हिन्दुस्तानी की साहित्यिक विवेचना की गयी है। इसमें लोकोक्तियाँ एवं मुहावरे, उक्ति वैचित्र्य एवं वक्रोक्ति विधान, भाषावैज्ञानिक विवेचन, ध्वनि, स्वर-संयोग, अन्य व्यंजन का प्रयोग, शब्दों में व्यञ्जनों की अधिकता, गुणात्मक सार्वनामिक विश्लेषण, तत्सम शब्द, तद्भव शब्द, ब्रजभाषा के शब्द, गुजराती शब्द, सिन्धी शब्द, अरबी शब्द, फारसी शब्द, अर्थ ध्वनन और प्रतीक योजना का विवरण है। नवां अध्याय महामति प्राणनाथ की भाषा से सम्बन्धित है। अन्तिम अध्याय में परवर्ती प्रणामी सन्तों और महामति प्राणनाथ की चर्चा है। इसके अन्तर्गत स्वामी लालदास, स्वामी मुकुन्ददास, महाराजा छत्रसाल, हिरदेसाह, स्वामी ब्रजभूषण, भट्टाचार्य, पंचम सिंह, मुरलीधर, बक्शी हंसराज, मुकुन्द स्वामी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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