Book Title: Sramana 2001 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 212
________________ २०६ एक चित्र है और उस पर भगवान् महावीर हिन्दी भाषा में लिखा गया है। सिक्के दूसरी ओर सर्वधर्मसमभाव को इंगित करते हुए ॐ, चांद-तारा, त्रिशूल और सूर्य अंकित है। इस सिक्के पर अंग्रेजी में ईस्ट इण्डिया कम्पनी १८३९ लिखा गया है। वस्तुतः यह सिक्का ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा प्रदर्शित भगवान् महावीर के प्रति आदर को दर्शाता है। ___ भगवान् महावीर के २६ सौवें जन्म कल्याणक को अहिंसा वर्ष घोषित करने तथा उसे अविस्मरणीय रूप में मनाने और इस कार्य हेतु १०० करोड़ रुपये व्यय करने वाली स्वतन्त्र भारत की धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक सरकार से भी हम क्या इसी प्रकार की आशा रख सकते हैं? श्री वी० रमेश जैन पी-एच०डी० की उपाधि से सम्मानित श्री वी० रमेशकुमार जैन को मध्यकालीन हिन्दी साहित्य पर जैन दर्शन का प्रभाव नामक विषय पर बैंगलोर विश्वविद्यालय द्वारा पी-एच०डी० की उपाधि प्रदान की गयी। श्री वी० रमेश ने डॉ० आशा सिंघवी के मार्गदर्शन में यह शोधकार्य ६ वर्षों में पूर्ण किया। ज्ञातव्य है कि दक्षिण भारत में जैनदर्शन पर हिन्दी भाषा में यह प्रथम शोधकार्य है जिस पर उक्त विश्वविद्यालय द्वारा डाक्टरेट की उपाधि प्रदान की गयी है। महावीर पुरस्कार- २००२ हेतु प्रविष्टियाँ आमन्त्रित प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी भगवान् महावीर फाउण्डेशन, चेन्नई निम्नलिखित क्षेत्रों में उत्कृष्ट मानवीय प्रयासों के लिए आठवें महावीर पुरस्कारों हेतु नामांकन आमन्त्रित करता है - अहिंसा एवं शाकाहार का प्रचार-प्रसार - शिक्षा एवं चिकित्सा - सामाजिक एवं सामुदायिक सेवा तीनों पुरस्कारों में, प्रत्येक में पांच लाख रुपये नकद, प्रशस्ति-पत्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान किया जाता है। केवल भारतीय नागरिक एवं संस्थाएँ, जो भारत में स्थित हैं और देश में उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं, इन पुरस्कारों की पात्र होंगी। साधारणतः वर्तमान में किये गये कार्य ही पुरस्कारों के लिए विचारणीय होंगे। पुरस्कार निर्धारण मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करेगा कि इनके प्रयासों से आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गो. जैसे अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा महिलाओं को कितना लाभ पहुंच रहा है। इसके अतिरिक्त जो संस्थाएँ या व्यक्ति नामांकन प्रायोजित करते हैं, वे नामांकित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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