Book Title: Sramana 2001 10
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 192
________________ ५७१ १२१० १२११ १२१२ १२१३ १२१३ १२१५ ० १२१७ १२१८ १२१९ ३०३ ३०४ ३१२ ९/६७३/१ ९/६७३/२ ९/६७३/३ १२२० १२२० १२२१ १८६ प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार प्रवचनसारोद्धार २२२ १२२३ १२२३ तित्थोगालीपइण्णयं आवश्यकभाष्यम् आवश्यकभाष्यम् आवश्यकभाष्यम् तित्थोगालीपइण्णयं बृहसंग्रहणी बृहसंग्रहणी बृहसंग्रहणी स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् . तित्थोगालीपइण्णयं स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् तित्थोगालीपइण्णयं स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् तित्थोगालीपइण्णयं स्थानांगसूत्रम् तित्थोगालीपइण्णयं स्थानांगसूत्रम् स्थानांगसूत्रम् संबोधप्रकरण कर्मग्रन्थ (प्राचीन) संबोधप्रकरण o. १२२४ १२२५ १२२६ १२२७ १२२८ १२२८ ९/६७३/४ ९/६७३/५ ९/६७३/६ ११३६ ९/६७३/७ ९/६७३/८ ९/६७३/९ ९/६७३/१० ९/६७३/११ ११४१ ९/६७३/१२ ११४२ ९/६७३/१३ ९/६७३/१४ ३/३२ १२२९ १२२९ १२३० १२३१ १२३८ १२४१ १२४२ १/५ ३/३७ • स्थानांग के सन्दर्भ में प्रथम संख्या स्थान की दूसरी सूत्र की एवं तीसरी गाथा की सूचक है। ज्ञातव्य है कि मुनि जम्बूविजयजी द्वारा सम्पादित संस्करण में गाथा क्रमांक १-१७ न होकर ११७-१३० है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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