Book Title: Sramana 1998 04
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 13
________________ و Jain Education International अंक ५ ५ पृष्ठ २४-३२ ک ३३-३७ ک ३ ६ ک ب کي کيا کی سه له سه له سه له سه سه سه له سه | For Private & Personal Use Only लेख कलकत्ता विश्वविद्यालय में संस्कृत का उच्च शिक्षण किसकी जय तप के प्रतीक महावीर भगवान् महावीर-उनके जीवन की विविध भूमिकायें हमारे जागरण का शीर्षासन मंगलयमय महावीर कलकत्ता विश्वविद्यालय में संस्कृत का उच्च शिक्षण रुढिच्छेदक महावीर मुनियों का आदर्श त्याग जैन साहित्य निर्माण की नवीन योजना पार्श्वनाथ विद्याश्रम अपरिग्रहवाद (क्रमश:) आत्मा की महिमा यह मनमानी कबतक जैनसमाज और वैशाली सम्मेलन-संस्मरण साधुसमाज की प्रतिष्ठा ज्ञान सापेक्ष है श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक म० म० विधुशेखर भट्टाचार्य प्रो० इन्द्रचन्द्र शास्त्री डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल पं० सुखलाल संघवी मुनि सुरेश चन्द्र प्रो० महेन्द्र कुमार न्यायाचार्य म० म० विधुशेखर भट्टाचार्य पं० बेचरदास दोशी मुनि श्री आईदान जी महाराज डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल प्रो० विमलदास जैन श्री रघुवीरशरण दिवाकर श्री जयभगवान जी एडवोकेट श्री शैलेश पं० पन्नालाल धर्मालंकार मुनि श्री सुशील कुमार जी पं० कृष्णचन्द्राचार्य प्रो० विमलदास जैन ७-८ ई० सन् १९५२ १९५२ ।। १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ ७-८ ७-८ ९-१६ १७-२२ २३-२४ २७-३१ ३२-३७ ७-८ ९-१२ १३-२३ २५-२९ ३० ३१-३३ ३६-३८ ३९-६० ६१-६३ ५-११ ७-८ ७-८ ७-८ ७-८ له سه له له ته له سه ७-८ www.jainelibrary.org ७-८

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