Book Title: Siddhahem Sabdanushasana sah swopagnya San Laghuvrutti
Author(s): Hemchandracharya, Jambuvijay
Publisher: Hemchandracharya Jain Gyanmandir Patan
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आचार्यश्रीहेमचन्द्रसूपिणीतो धातुपाठः
शब्दे।
५६(१५६३) मुषश् स्तेये।
१६(१५८३) तुजु १७(१५८४) पिजुए ५७(१५६४) पुषश् पुष्टौ।।
हिंसा-बल-दान-निकेतनेषु ५८(१५६५) कुषश् निष्कर्षे ।
१८(१५८५) क्षजुण् कृच्छ्रजीवने। ५९(१५६६) ध्रसूश् उञ्छे। १९(१५८६) पूजण् पूजायाम् । ॥ परस्मैभाषाः ॥
२०(१५८७) गज २१(१५८८) मार्जन ६०(१५६७) वृश् सम्भक्तौ ।
आत्मनेभाषः ॥ २२(१५८९) तिजण् निशाने। ॥इत्याचार्यश्रीहेमचन्द्रानुस्मृताः क्रयादयः २३(१५९०) वज २४(१५९१) व्रजण शितो धातवः ॥
मार्गणसंस्कार-गत्योः।
२५(१५९२) रुजण् हिंसायाम् । अथ चुरादयः (९) २६(१५९३) नटण् अवस्यन्दने । १(१५६८) चुरण स्तेये।
२७(१५९४) तुट २८(१५९५) चु २(१५६९) पृण् पूरणे।
२९(१५९६) चुटु ३०(१५९७) छुटप ३(१५७०) घृण स्रवणे।
छेदने। ४(१५७१) श्वल्क ५(१५७२) वल्कण् ३१(१५९८) कुट्टण् कुत्सने च । भाषणे।
३२(१५९९) पुट्ट ३३(१६००) चुः ६(१५७३) नक्क ७(१५७४) धक्कण् ३४(१६०१) षुट्टण् अल्पीभावे । नाशने।
३५(१६०२) पुट ३६(१६०३) मुटण ८(१५७५) चक्क ९(१५७६) चुक्कण्
संचूर्णने। व्यथने।
३७(१६०४) अट्ट ३८(१६०५) स्मिटण १०(१५७७) टकुण् बन्धने।
अनादरे। ११(१५७८) अर्कण् स्तवने। ३९(१६०६) लुण्टण् स्तेये च। १२(१५७९) पिच्चण् कुट्टने। ४०(१६०७) स्निटण् स्नेहने । १३(१५८०) पचुण विस्तारे। ४१(१६०८) घट्टण चलने। १४(१५८१) म्लेच्छण् म्लेच्छने। ४२(१६०९) खट्टण् संवरणे। १५(१५८२) ऊर्जण् बल-प्राणनयोः। ४३(१६१०) षट्ट ४४(१६११) स्फिट्टण्
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