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March-2020
SHRUTSAGAR जिणिंदराय! जय जय जगआधार, जी हो गुणमणिनउं भंडार (आंकणी), जी हो सासन सुर षणमुख भलउ, जी हो दिनप्रति रहइ जसु पास। जी हो विदिता जसु सासनसुरी, जी हो भगतनी पूरइ आस ॥७(८)। जिणिंदराय... जी हो सोवन वान सोहामणो, जी हो चिंतामणि सुरसाल। जी हो जाणे घरि परगट हुआ, जी हो जइ पेख्यउ सुभ भाल°
॥८(९)। जिणिंदराय... जी हो भय भागउ भवसिंधुनउ, जी हो जइ लाउ दीप समान। जी हो कमला केलि करइ घरइ, जी हो जइ कर्यउ जिन गुण गान
॥९(१०)। जिणिंदराय... जी हो जिणि उयरइ प्रभु आवीयइ, जी हो मातानी मति देह' । जी हो विमल थया तिणि आपीयउ, जी हो विमल नाम गुणगेह
॥१०(११)। जिणिंदराय...
॥ ढाल॥ निरदूषण गुणि सेहरउ१२, तो सम जगि नहीं कोइ हो जिनवर । तुं माहरइ मनि रमि राउ, जिम रवि मंडलि जोइ हो जिनवर ॥११(१२)॥ राग दोस दोउं जगइ, जगना जीपणहार हो जिनवर। हेलइं ते जीता तुम्हे, न धर्यउ कोप विकार हो जिनवर
॥१२(१३)। केवल-लच्छि लही सही, च्यारि करमनइ अंति हो जिनवर। विणु मसकति कुण फल लहइ, इहां नवि कांई भ्रंति हो जिनवर ॥१३(१४)।। जिम जिम देखं ताहरउ, रूप अनोपम आज हो जिनवर, तिम तिम मुझ मन ऊलसइ, जिम कैरव द्विजराज हो जिनवर ॥१४(१५)।। कहां सुरसुख नरसुख कहां, कहां छीलर कहां सिंधु हो जिनवर। अलप-तेज खजूअउ इहां, कहां ऊगउ दिनबंधु हो जिनवर ॥१५(१६)॥ कहां सुरतरु एरंड कहां, कहां तरूअर कहां तार हो जिनवर। कहां सुरगिरि कहां अणु भण्यउ, कहां हयवर कहां टार" हो जिनवर ॥१६(१७)।।
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