Book Title: Shrutsagar 2020 03 Volume 06 Issue 10
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर मार्च-२०२० जैनगच्छमत प्रबंधमां प्राप्त थती माहितीना आधारे श्रीपार्श्वचंद्रसूरि हमीरपुर नगरवासी प्रागवंशीय, वेल्हग शाह पिता, विमलादे माता, जन्म वि.सं. १५३७मां, दीक्षा सं. १५४६मां, सं. १५५४मां उपाध्याय पद, सं. १५६५मां आचार्य पद, सं. १५९९ मां युगप्रधान पद, सं. १६१२मां जोधपुरमा स्वर्गे गया। आ आचार्य परम त्यागी, वैरागी, निपँथ चूडामणि थया, तेओए मरूधराधीश रावगांगजी तथा युवराज मालदेवजीने प्रबोध्या हता, तेमज मुणोत गोत्रीय, क्षत्रिय रजपूतोना २२०० घर प्रतिबोधी ओशवाल श्रावको कर्या, तेमज गुजरात उनावा गामे वैष्णव, सोनी, वाणीयाने चमत्कार देखाडी श्रावको कर्या ते हजु मोजुद छ । वळी आ आचार्ये पोतानी अद्भुत शक्ति वडे बांठीया दफतरी, रामपुरीया, वेगाणी, राखेत्रा, तातीड, लोढा, छोरिया, नवलखा, खटोल, गोगड, बारडीया, दुगड, आंचलीया, भणशाली, श्रीश्रीमाल भंडारी, टेटीया, चोपरी, सोनी, घोडावत संघवी, श्रेष्ठी, लोंकड वगेरे अनेक गामोना श्रावको माहेश्वरी थई गयेला तेओने प्रतिबोधी श्रावको बनाव्या। संस्कृत प्राकृत भाषाना प्रवीण होवाथी अनेक ग्रंथो रच्या छे। तेमज मारुगुर्जर भाषामां पण घणा ग्रंथो रच्या छे। एमना शिष्यप्रवर पंडित श्री विजयदेवसूरि थया अने तेमना शिष्य श्रीब्रह्मर्षि थया के जेओए दशाश्रुतस्कंध सूत्रवृत्ति जंबूद्वीपण्णत्ति वृत्ति, पाखीसूत्र वृत्ति एम अनेक ग्रंथो रच्या छे। आ समयमां कडुआ शाहे साधुपणु उत्थापीने कटुक मत चलाव्यो। सं.१६५२ मां पोतानी अद्भुत शक्ति साथे गुर्जरभूमिमां विचरी आचार्यश्रीए दशालाणिया, वोरा, चीकाणी, गांधी, सिरिया, संघवी, कपाशी, मठीया, दोशी विगेरे अनेक गोत्रना बहु मिथ्या धर्म करनारा जीवोने उपदेश आपी श्रावको बनाव्या हता। प्रत परिचय संपादनार्थे प्रस्तुत कृतिनी प्रत आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबामांथी प्राप्त थयेल छे । तेनो प्रत क्रमांक ३४२११ छे, अनुमानित १८मी सदीनी छे । आ प्रतनी लंबाई-२५ से.मी. अने पहोळाइ-११ से.मी. छे । दरेक पत्रमा १९ पंक्तिओ अने दरेक पंक्तिमा ५० अक्षरो छ । सुवाच्य अक्षरमां रचायेल आ प्रत मध्यफुल्लिका युक्त छ। प्रतमां गाथा क्रमांक गेरुलालरंगथी अंकित करेल छे तथा प्रतना बंने छेडे काळारंगथी २-२ पार्श्वरेखा दोरेल छ । प्रतमा प्रतिलेखन पुष्पिका प्राप्त थती न होवाथी लहिया विषे कोईपण माहिती प्राप्त थई नथी। आ कृतिना संपादनमां डॉ. शीतलबेन शाहनो सुन्दर सहयोग अने मार्गदर्शन प्राप्त थयुं छे, ते बदल तेमनो खूब-खूब आभार । For Private and Personal Use Only

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