Book Title: Shrutsagar 2020 03 Volume 06 Issue 10
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 30 श्रुतसागर मार्च-२०२० समाचारसार जिनशासन के महान प्रभावक, राष्ट्रसन्त श्रद्धेय गुरुदेव पूज्य आचार्य श्रीमद् पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा की निश्रा में श्री पारसमणी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैनसंघ में अंजलशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न पूज्य आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा की पावन निश्रा में दि.७-२-२०२० को पारसमणी श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैनसंघ, घाटलोडिया, अहमदाबाद में श्री शीतलनाथस्वामी, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तथा श्री मुनिसुव्रतस्वामी आदि जिनबिम्बों की अंजलशलाका प्रतिष्ठा के प्रसंग पर नवाहिका महोत्सव का आयोजन किया गया। इस प्रसंग में पूज्य आचार्यदेव श्री अमृतसागरसूरिजी म. सा., आचार्य श्री अरुणोदयसागरसूरिजी म. सा. पूज्य आचार्य श्री हेमचन्द्रसागरसूरिजी म. सा., पूज्य आचार्य श्री अजयसागरसूरिजी म.सा., पूज्य गणिवर्य श्री प्रशान्तसागरजी म. सा., श्रमण भगवन्त तथा योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी महाराजा की समुदायवर्तिनी व अन्य साध्वीजी भगवन्तों की भव्य निश्रा में प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। ___ नवदिवसीय महोत्सव के प्रारंभ में सर्वप्रथम कुम्भस्थापना, दीपक स्थापना, सोलह विद्यादेवी पूजन, लघु सिद्धचक्र पूजन तथा वीसस्थानक पूजन किया गया। उसके बाद च्यवन कल्याणक विधान के अन्तर्गत माता-पिता स्थापना, इन्द्र-इन्द्राणी स्थापना तथा धर्माचार्य की स्थापना की गई। उसके बाद राजदरबार का मंचन, चौदह स्वप्न का फलकथन, जन्मकल्याणक, अठारह अभिषेक तथा मंगलमूर्ति की प्रतिष्ठा की गई, छप्पन दिक्कमारी महोत्सव किया गया। अगले दिन प्रियंवदा दासी के द्वारा बधाई, प्रभुजी का पाठशाला गमन तथा विवाह, राज्याभिषेक, नौ लोकान्तिक देवों की विनंती, देवीपट्ट पूजन तथा दीक्षा कल्याणक के बाद प्रभुजी का प्रथम दर्शन किया गया। उसके बाद केवलज्ञान कल्याणक का आयोजन किया गया, फिर प्रभु की प्रथम देशना तथा १०८ अभिषेक किया गया। रात्रि ८:०० बजे पूज्य राष्ट्रसन्त आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. की आचार्यपदवी के अनुमोदनार्थ ३६ से अधिक विविध वाद्यों के साथ सुप्रसिद्ध संगीतकारों के द्वारा प्रभुभक्ति की गई। इस अवसर पर गुरुपूजन, ध्वजदण्ड, कलश, प्रतिष्ठा देशना तथा उपस्थित सभी साधु-साध्वीजी भगवन्तों को काम्बली का चढ़ावा भी किया गया। For Private and Personal Use Only

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