Book Title: Shrutsagar 2020 03 Volume 06 Issue 10
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR March-2020 पार्श्वचन्द्रसूरि रचित शुद्धश्रद्धान स्वाध्याय हेतलबेन नाणावटी कृति परिचय प्रस्तुत कृति मारुगुर्जर भाषामां रयायेल छ । प्रथम गाथामां कर्ताए २४ तीर्थंकरोने, २० विहरमानने, २ क्रोड हाल विचरता साधुने वंदन करी मंगलाचरण करेल छ । त्यारबाद ३६ गाथाओमां प्रभु वीरना निर्वाण पछी सामान्य जनने मुंझवी देता जे जे मिथ्या मतो उभा थया ते ते मतोने अनुसरीने थतां नुकशाननी वेदना कर्ताश्री प्रगट करे छे । एक कहे जिनपूजा ज करो, तो बीजा कहे मल्लि, नेमि अने वीरनी प्रतिमा घरे न लवाय, एक कहे स्त्री पूजा न करी शके, तो बीजा कहे प्रभु पासे इच्छित फल मांगो, कोइक कहे चामुंडाने आराधो । आम अनेक मत-मतांतरोनो उल्लेख करवा पूर्वक शास्त्रसंदर्भ सह मार्गदर्शन आपवानो कर्ताए प्रयास कर्यो छे। सद्बोध देतां जणाव्यु के कुगुरुथी तमे बचो। खोटी वातोमां न आवो। सुगुरुने अनुसरी जिनवचनना श्रुतने साची रीते जाणीने आराधना करो अने बहुश्रुत बनो। रागीना नहीं वीतरागना वचन पर श्रद्धा करो। वीतराग धर्मथी ज जीव समकितनो अधिकारी बने छे। अहीं ध्यान राखq घटे के आ पैकीनी अमुक प्ररूपणाओ एमना गच्छ सम्मत ज होय। आ कृतिने जैनदर्शनमंडनछत्रीसी, शुद्धश्रद्धा सज्झाय, भाषाछत्रीसी, गुरुछत्रीसी आदि अन्य नामोथी पण ओळखवामां आवे छे। कर्ता परिचय प्रस्तुत कृतिना कर्ता श्री पार्श्वचंद्रसूरि छ। जे बृहन्नागपुरीय तपागच्छना आचार्य पुण्यरत्नसूरि तेमना शिष्य साधुरत्नसूरिना शिष्य छ । तेमनो समयकाळ १६मी सदीनो उत्तरार्ध अने १७मी सदीनो पूर्वार्ध रहेल छ । आचार्य श्री कैलासागरसूरि ज्ञानमंदिरमां संग्रहित सूचनाओना आधारे तेओनी अन्य कृतिओमां खंधकमुनिचरित्र शतक, साधुगुणरससमुच्चय रास, आगमिक प्रश्नोत्तरी, महावीरजिन स्तवन, विमलजिन स्तवन, सूत्रकृतांगसूत्र तथा लघुक्षेत्रसमास पर बालावबोध, प्रतिमास्थापन बावनी विगेरे लगभग १४२ जेटली रचनाओ प्राप्त थाय छे। तेमना शिष्य श्रीसमरचंद्रसरि ए करेल पण घणी रचनाओ प्राप्त थाय छे। जैन गूर्जर कविओमां प्राप्त थती माहिती प्रमाणे आ ए ज पार्श्वचंद्रसूरि छे के जेमणे १५७२मां जुदो गच्छ काढ्यो, जे पार्श्वचंद्रसूरि गच्छना नामे प्रसिद्ध थयो। कृतिओमां क्यांक प्राप्त थता रचनास्थळना आधारे तेमनो विहार खंभातनी आजुबाजुमां थयेल हशे एम कही शकाय। For Private and Personal Use Only

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