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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir March-2020 SHRUTSAGAR जिणिंदराय! जय जय जगआधार, जी हो गुणमणिनउं भंडार (आंकणी), जी हो सासन सुर षणमुख भलउ, जी हो दिनप्रति रहइ जसु पास। जी हो विदिता जसु सासनसुरी, जी हो भगतनी पूरइ आस ॥७(८)। जिणिंदराय... जी हो सोवन वान सोहामणो, जी हो चिंतामणि सुरसाल। जी हो जाणे घरि परगट हुआ, जी हो जइ पेख्यउ सुभ भाल° ॥८(९)। जिणिंदराय... जी हो भय भागउ भवसिंधुनउ, जी हो जइ लाउ दीप समान। जी हो कमला केलि करइ घरइ, जी हो जइ कर्यउ जिन गुण गान ॥९(१०)। जिणिंदराय... जी हो जिणि उयरइ प्रभु आवीयइ, जी हो मातानी मति देह' । जी हो विमल थया तिणि आपीयउ, जी हो विमल नाम गुणगेह ॥१०(११)। जिणिंदराय... ॥ ढाल॥ निरदूषण गुणि सेहरउ१२, तो सम जगि नहीं कोइ हो जिनवर । तुं माहरइ मनि रमि राउ, जिम रवि मंडलि जोइ हो जिनवर ॥११(१२)॥ राग दोस दोउं जगइ, जगना जीपणहार हो जिनवर। हेलइं ते जीता तुम्हे, न धर्यउ कोप विकार हो जिनवर ॥१२(१३)। केवल-लच्छि लही सही, च्यारि करमनइ अंति हो जिनवर। विणु मसकति कुण फल लहइ, इहां नवि कांई भ्रंति हो जिनवर ॥१३(१४)।। जिम जिम देखं ताहरउ, रूप अनोपम आज हो जिनवर, तिम तिम मुझ मन ऊलसइ, जिम कैरव द्विजराज हो जिनवर ॥१४(१५)।। कहां सुरसुख नरसुख कहां, कहां छीलर कहां सिंधु हो जिनवर। अलप-तेज खजूअउ इहां, कहां ऊगउ दिनबंधु हो जिनवर ॥१५(१६)॥ कहां सुरतरु एरंड कहां, कहां तरूअर कहां तार हो जिनवर। कहां सुरगिरि कहां अणु भण्यउ, कहां हयवर कहां टार" हो जिनवर ॥१६(१७)।। For Private and Personal Use Only
SR No.525356
Book TitleShrutsagar 2020 03 Volume 06 Issue 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2020
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size4 MB
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