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SHRUTSAGAR
March-2020 कर्ता परिचय
प्रस्तुत कृतिना कर्ता खरतरगच्छना श्रीपद्मराज छे । आ कृतिनी प्रशस्तिमा मात्र एमना गुरुनु नाम प्राप्त थाय छे । पण तेमना द्वारा रचायेल अन्य कृतिओमां प्राप्त थती विगत प्रमाणे तेओ श्री १६मी सदीमां खरतरगच्छना गच्छाधिपति श्रीजिनसिंहसूरिना हस्ते दीक्षित थयेल श्रीपुण्यसागरना शिष्य हता। कर्ता द्वारा रचित अन्य कृतिओ आ प्रमाणे छे- १) पार्श्वजिन स्तुति २४ महादंडक व्याख्या वि.सं. १६६५, २) सनत्कुमार चक्रवर्ति रास वि.सं. १६५९, ३) अभयकुमार रास वि.सं. १६५०, ४) २४ जिन स्तवन-९ बोलयुक्त वि.सं. १६६७, ५) सीमंधरजिन स्तवन, ६) क्षुल्लककुमार सज्झाय, ७) पार्श्वजिन स्तवन।
उपर्युक्त कृतिओमां प्राप्त थता रचनास्थलना आधारे एम अनुमान करी शकाय के कर्ताश्रीनो विहार जेसलमेर अने हालमां पाकिस्तानमां स्थित मुलताण गाम बाजु अर्थात् पश्चिमी भारतमां हशे। प्रत परिचय ____संपादनार्थे प्रस्तुत कृतिनी प्रत आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबामां क्रमांक-३१३८८ उपर उपलब्ध छ । १८मी सदीनी अनुमानित आ प्रतनी लंबाई-२५ से.मी. अने पहोळाइ-११.५० से.मी. छ । एक पत्रमा १८ पंक्तिओ अने दरेक पंक्तिमां अक्षरनी संख्या ४६ छे । सुवाच्य अक्षरमां लखायेल आ प्रतमां गाथाक्रमांक गेरु लाल रंगथी अंकित करेल छे। हंडी तथा पार्श्वरेखा-२ काळा रंगथी छ। प्रतिलेखक विषे कोई माहिती प्राप्त थई नथी।
१४ गुणठाणा स्तवन GO॥ जगि पसरंत अणंतकंति गुणगणमणिरोहण, रिसहजिणेसर चरणकमल पणमी मणमोहण । श्रुत अणुसारइ कहिस चऊद गुणठाण विचार, जेण अनुक्रमि लहइ जीव भवसायर पार पहिलउ गुणठाणउ मिथ्यात १ बीजउ सासादन २, त्रीजउ मिश्र ३ चउत्थ तेम अविरति समकितगुण ४ ।
॥१॥
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