Book Title: Shrutsagar 2019 10 Volume 06 Issue 05
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर अक्टूबर-२०१९ गुरुवाणी आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी योगनिष्ठश्रीना पत्रोमांझळकता भावदीवाळी दिवडा मुकाम पादरा वकील शा. मोहनलाल हिमचंदभाई। बे लण दिवसमां दिवाळी पर्व आवशे। श्रीवीरप्रभुनुं निर्वाण स्मृतिमा राखीने कर्मवैरिने जीतवा प्रयत्नशील बनवू एज आपणुं कर्त्तव्य छ। आत्मानो एक गुण प्राप्त करवाथी अन्य गुणो प्राप्त थाय छे। सर्वगुणोनुं मूल सम्यक्त्व छ। श्रीवीरप्रभुए निश्चयसम्यक्त्वनुं स्वरूप दर्शाव्यु छे तेवू सम्यक्त्व जो आत्मामां प्रगटे तो आपणा हृदयमां भावदीवाळीपर्व प्रगट्यु एम समजवू । आत्माना गुणो पोताना स्वरूपे परिणाम पामीने आत्मानी परमात्मा प्रगटावे एज साध्यकर्तव्य छ। द्रव्यदिवालीपर्व द्वारा भावदिवाळी पर्वआराधन करवू एज खास लक्ष्यमा राखq जोइए, जे सम्यक्त्वगुणे जाग्रत् थाय छे ते भावदिवालीपर्वनं यथातथ्य आराधन करी शके छे। मिथ्यात्वदशामां मंझायला जीवो मरेला छे, तेओ संमर्छिमनी पेठे स्वजीवन पूर्ण करे छे । यथाप्रवृत्तिकरणे बालजीवो ओघसंज्ञाए जे धर्म क्रियाओ करे छे तेवी शक्ति तो अभव्यजीवो पण धरावे छे। ___ मिथ्यात्वभावे मरेला मनुष्यो कंइ अन्यने जाग्रत् करवाने शक्तिमान् थता नथी। उंघेलामनुष्योज्ञानीनांवचनोनो निर्णय करवाशक्तिमान्थतानथी ।केटलाक अज्ञानीओ नैगमनयनी एकांतकल्पनाए धर्मने मानी ज्ञानीओना शुद्धधर्मने तिरस्कारी काढे छ । क्रियारूचिजीवने आगळ ज्ञानमार्गपर चढाववा ए गीतार्थोनुं कर्तव्य छ । गीतार्थी विना बाळजीवो धर्मना नामे परभावने सेवी चतुर्गतिसंसारमा परिभ्रमण करे छे। गुणोमां परिणाम विनानी एकली शुष्क क्रिया खरेखर आत्मानं हित करवा समर्थ थती नथी। सम्यक्त्व पाम्याथी जीवनी सवळी दृष्टि थवाथी ते जेजे करे छे ते सर्व सवळं परिणमे छे। धनादिक जड वस्तुओ करतां आत्मानी किम्मत जेने अनन्त गुणी विशेष भासती नथी ते सम्यक्त्वनो अधिकारी शी रीते थइ शके वारू ? सम्यक्त्व पाम्या विना आत्माना उपर रंगचोंटतो नथी। स्याद्वादनये आत्मा ओळखवो एकंइसहेज वात नथी। आरोपित धर्ममां जेनी वास्तविक धर्मबुद्धि थाय छे एवा अज्ञानीओ उपादान धर्मने सेवी शकता नथी। आ कालमां धर्मनो खरेखरो रंग लागवो ए जाण्या करता कंइक अनन्तगुणाधिक विशेषकार्य छ । साध्यनी सापेक्षा विनानो व्यवहार ते सांसरिकफल प्रदछ । ज्यारे धर्मना उपदेश संबंधी विचार करीए छीएत्यारे जणाय छे के धर्मनुंखरेखरूं स्वरूप समजवा माटे योग्य श्रोताओनी खोट मालुम पडे छे । गाडरीया प्रवाहनी रीतिए लोको धर्म सांभळे छ। For Private and Personal Use Only

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