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श्रुतसागर
अक्टूबर-२०१९ लेखों के आधार पर बहुत से विद्वज्जनों ने हमारी संस्था के योगदान को ध्यान में लिया है, परखा है, समझा-जाना है। इसी अनुसंधान में हस्तप्रत संरक्षण की बात को लेकर भी विद्वज्जनों की ओर से जिज्ञासा व्यक्त की गई है। श्रुतप्रेमी प.पू. मुनिचंद्रसूरि म.सा. की ओर से हस्तप्रत संरक्षण से सम्बन्धित एक पत्र मिला, जिसमें उन्होंने हस्तप्रत के संरक्षण विषयक कुछ प्रश्न किए, जैसे हस्तप्रत को टिश्यु पेपर से कैसे मजबूत किया जाता है ? इसमें कितना खर्च आता है? इसके लिए क्या-क्या सामग्री अपेक्षित है? आदि। इन प्रश्नों के उत्तर उन्हें दे दिए गए हैं, परन्तु अन्य वाचकों को भी इस विषय में जानकारी प्राप्त हो सके, इस हेतु से वाचकों की जिज्ञासा की पूर्ति के लिए यहाँ पाण्डुलिपि संरक्षण की एक छोटी सी लेखमाला चलाने का प्रयास किया जा रहा है। हम आशा करते हैं कि आप इस महत्त्वपूर्ण नए विषय का स्वागत करेंगे। इस संस्था की सदैव यह भावना रही है कि श्रुतसंरक्षण-संवर्धन से सम्बन्धित जानकारियों का जितना प्रचार-प्रसार होगा उतना ही हम सबके लिए, देश-धर्म-समाज व संस्कृति के लिए हितकर रहेगा। प्रस्तुत विषयज्ञान का प्राप्तिस्रोत__भारत सरकार के मानवसंसाधन एवं सांस्कृतिक मंत्रालय ने फरवरी-२००३ में संस्कृति के संरक्षक, तत्त्वचिंतक तत्कालीन प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयीजी के करकमलों से राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन, (National Mission For Manuscripts)(NMM) की स्थापना की। जिसका मुख्य उद्देश्य था कि भारतभर में रही पाण्डुलिपियों का संरक्षण करना। वर्तमान समय में राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन (एन.एम.एम.) लिपि प्रशिक्षण, संपादन तथा हस्तप्रत संरक्षण (कन्जर्वेशन) के प्रशिक्षण आदि बहुआयामी कार्य कर रही है। इस मिशन के तत्कालीन निदेशक श्री प्रतापानंदजी झा आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर की मुलाकात हेतु पधारे थे। संस्था में संग्रहित विशाल पाण्डुलिपि संग्रह को एवं उनके संरक्षण आदि हेतु किए गये अतिविशिष्ट प्रयासों को देखकर वे अत्यंत प्रसन्न व प्रभावित हुए थे। उन्होंने इसीसे प्रेरित होकर अपने मिशन द्वारा चलाए जा रहे पाण्डुलिपि के संरक्षण विषयक प्रशिक्षण वर्गों में संस्था के कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने का प्रस्ताव रखा। हम इनके सदैव आभारी रहेंगे कि उनके सत्प्रयासों से संस्था को एक नई, आधुनिक व अनुकरणीय हस्तप्रत संरक्षण पद्धति की जानकारी मिली। जिसका लाभ आप जैसे ज्ञानपिपासु वाचकों को भी दिया जा रहा है।
(क्रमशः)
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