Book Title: Shrutsagar 2019 10 Volume 06 Issue 05
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 30 श्रुतसागर अक्टूबर-२०१९ विनयचंद्रसूरि विरचित दीपालिकाकल्प, श्री जिनप्रभसूरि विरचित दीपोत्सवकल्प, श्री जिनसुंदरसूरि विरचित दीपालिकाकल्प, अज्ञात कर्तृक दीपालिकाकल्प, श्री लक्ष्मीसूरि विरचित दीपावलिकापर्व व्याख्यान, श्री उमेदचंद्र विरचित दीपमालिका व्याख्यान एवं उपाध्याय श्री गणसागरगणि विरचित दीपालिका व्याख्यान नामक कृतियों को संग्रहित किया गया है। इन कृतियों में वर्णित विषय निम्न प्रकार हैं - ___ दीपोत्सवकल्प- श्री हेमचंद्राचार्य द्वारा संस्कृत भाषा में रचित इस कृति में दीपोत्सव महिमा, भगवान महावीर का जीवन चरित्र, उनकी अन्तिम देशना, राजा पुण्यपाल के आठ स्वप्नों के फलादेश, पांचवें आरे में श्रीसंघ की स्थिति, छठे आरे की स्थिति, भावि ६३ शलाकापुरुषों के नाम आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है। दीपालिकाकल्प- श्री विनयचंद्रसूरि द्वारा संस्कृत भाषा में रचित इस कृति में उज्जयिनी नगर में आर्य सुहस्तिसूरि को संप्रतिराजा के द्वारा देखने, संप्रतिराजा को जातिस्मरण ज्ञान होने, गुरु को अपने पूर्व भव की बात कहकर उन्हें राज्यशासन संभालने हेतु निवेदन करने, आर्य सुहस्तिसूरिजी द्वारा भगवान महावीर के चरित्र का वर्णन, विष्णुकुमार मुनि व नमुचि मंत्री की कथा, दीपालिकापर्व का माहात्म्य आदि का विस्तार से वर्णन किया गया है। दीपोत्सवकल्प- श्री जिनप्रभसूरि द्वारा प्राकृत भाषा में रचित इस कृति का अन्य नाम अपापाबृहत्कल्प है। इममें आर्य सुहस्तिसूरि द्वारा संप्रतिराजा को दीपालिकापर्व का महत्त्व दर्शाते हए भगवान महावीर का संक्षिप्त जीवन चरित्र, मध्यमापावापुरी में अन्तिम चातुर्मास के समय सोलह प्रहर तक देशना देने, पुण्यपाल राजा के आठ स्वप्नों के फलादेश, अग्रहिलग्रहिल राजा का दृष्टांत, युधिष्ठिर आदि का वर्णन, गौतम गणधर द्वारा प्रभु से पूछे जाने पर कि आपके पश्चात् क्या-क्या होगा, इसके उत्तर में प्रभु द्वारा किए गए संपूर्ण परिस्थिति के वर्णन आदि का विस्तार पूर्वक विवेचन किया गया है। देवशर्मा ब्राह्मण को प्रतिबोधित करने हेतु गौतमस्वामी को भेजने, काशी और कौशल देश के नव मल्लकी तथा नव लच्छकी जाति के राजाओं द्वारा रत्नमयी दीपोत्सव करने आदि का भी विस्तृत वर्णन किया गया है। दीपालिकाकल्प- श्री जिनसुंदरसूरि द्वारा संस्कृत भाषा में रचित इस कृति में भी संप्रतिराजा द्वारा आर्य सहस्तिसरि से पूछे गए दीपालिकापर्व के माहात्म्य और आर्य सहस्तिसरि द्वारा वीर परमात्मा का संक्षिप्त जीवन चरित्र, पुण्यपाल राजा के आठ स्वप्नों के फलादेश, भगवान महावीर द्वारा कलियुग का वर्णन, अणहिलपुर पाटण में चौलुक्य वंश में कुमारपाल राजा तथा आचार्य हेमचंद्रसूरिजी का वर्णन, कल्की राजा का वर्णन, भाईबीज पर्व की उत्पत्ति आदि का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। दीपालिकाकल्प- अज्ञात कर्तृक प्राकृत भाषामय इस कृति में भी पूर्व के For Private and Personal Use Only

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