Book Title: Shrutsagar 2019 10 Volume 06 Issue 05 Author(s): Hiren K Doshi Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR October-2019 केटलाक तपागच्छीय आचार्योना लघु काव्यो गणि सुयशचंद्रविजयजी कृति परिचय सुमतिसाधुसूरिजी गीत तपागच्छीय लक्ष्मीसागरसूरिजीनी पाटे तेओ प्रभावक पुरुष हता। जैन परंपरानो इतिहास भाग- ३मां मळती नोंध मुजब तेओ जावरा गाम (मेवाड)ना व्यापारी गजपति श्रेष्ठि तथा संपूरीदेवीना पुत्र हता । बाळवये दीक्षित थई तेमणे ज्ञानाध्ययनादि वडे योग्यता प्राप्त करी अनुक्रमे पंन्यास पद, आचार्य पद तथा गच्छनायक पद मेळव्यु हतुं । प्रस्तुत कृतिमां कविए ते ज सूरिजीना गुणवैभव- वर्णन कर्यु छ । कृतिना शब्दो सरळ तथा भाववाही छे । काव्यांतनी लेखन पुष्पिकामां कविए पोते ज 'कमलसाधु गणि' ए नाम वडे पोतानो कृतिना रचयिता तथा कृति लेखक तरीकेनो उल्लेख कर्यो छे। अन्यत्र मळती नोंधमां तेमनो लक्ष्मीसागरसूरिजीनी परंपरामां थयेला साधुविजयजीना शिष्य तरीके उल्लेख मळे छे। तेमना विशेष परिचय माटे जैन परंपरानो इतिहासभाग.३ जोवा वाचकोने भलामण छे। सोमविमलसूरिजीनी सज्झाय सोमविमलसूरिजी खंभातना वतनी शेठ रूपा तथा अमरादेना पुत्र हता। नानी वये दीक्षित थयेला तेओ महासंयमी तेमज मोटा अभिग्रहधारी हता। तेमणे लीधेला अभिग्रहोनी १७ जेटली वातो लघु पौशालिक गच्छनी पट्टावलीमा नोंधायेली जोवा मळे छ । प्रस्तुत कृतिमां कविए उपरोक्त सूरिजीना जीवनचरित्र पर विशेष प्रकाश न पाथरता फक्त गुणानुवाद रूपे ज आ काव्यनी रचना करी होय तेवु जणाय छ । जो के कृति शब्दाडंबरथी रहित तेमज सरळ छे । काव्यांतमां कविए स्वपरंपराना उल्लेख पूर्वक पोतानुं नाम प्रयोजी काव्यनु समापन कर्यु छे। ___कृतिकार- जैन परंपरानो इतिहास भाग-३मां मळती नोंध मुजब तपागच्छना हेमविमलसूरिजीनी परंपरामां सौभाग्यहर्षसूरिजीना शिष्य सोमविमलजी हता। ते सोमविमलजीना हानर्षि नामना गुरुभाईनी पाट उपर उपाध्याय सकलचंद्रजी थया जेमणे प्रतिष्ठा कल्प, सत्तरभेदी पूजा, पुण्यप्रकाशनुं स्तवनादि घणी रचनाओ करी। आपणा कृतिकारश्रीए पण उपरोक्त सोमविमलसूरिजीने उद्देशीने ज प्रस्तुत कृतिनी रचना करी छे, वळी तेमनुं “सकलचंद” ए नाम साम्य पण तेमना उपा. सकलचंद्रजी For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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