Book Title: Shrutsagar 2019 10 Volume 06 Issue 05
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 17 October-2019 SHRUTSAGAR कवि मूंज कृत शालिभद्र गीत श्रीमती हिरेनाबेन अजमेरा जीवना परिभ्रमणमां प्रधान कारण होय तो ते छे पर पदार्थ प्रतेनी आसक्ति। आ आसक्तिना बंधनथी मुक्त थवा माटे जिनेश्वर परमात्माए दानधर्मनी प्ररूपणा करी छ। नानकडी पण सामग्री- उत्कृष्ट भावे करेलुं सुपात्रदान ते सामग्री करतां करोड़ो गणुं फळ आपवा समर्थ छ । तेनुं एक प्रसिद्ध अने प्रबळ उदाहरण शालिभद्र छे । आ संदर्भे आज लगी अनेक गद्य-पद्यबद्ध कृतिओ रचाई गई छे । शालिभद्रना जीवनथी जैन जगतमां भाग्ये ज कोई अजाण हशे । तेमना जीवन पर प्रकाश पाथरती अने दानधर्मनो महिमा दर्शावती प्रायः अप्रगट एक कृतिनुं अहीं संपादन करवामां आवे छे। ___आ कृतिने संपादन करवानो हेतु सुपात्र दान-महिमा अने चारित्र-भावनानी पुष्टि छ । कृतिना आमुख लेखनमां शोधपरक अने नोंधपूर्ण सहयोग आपवा बदल पंडित श्री गजेन्द्रभाई शाहनो आभार । शास्त्राज्ञा विरुद्ध कांइ पण लखाइ गयु होय तो मिच्छामि दुक्कडम् । कृति परिचय प्रस्तुत कृति मारुगुर्जर भाषामां ३४ पद्योमा रचायेली छ । प्रतिलेखक द्वारा २७मी गाथानो पाठ भूलथी २८ नंबरनी गाथा तरीके लखाई गयेल, जेने पाछळथी मिटावेल होवाथी कृतिनुं गाथा प्रमाण कुल ३४ थाय छे । अमे संपादनमा प्रतिलेखकनी ते क्षतिने सुधारीने क्रम आप्यो छे । कृतिमां गाथा १५-१८ दुहारूप छे,त्यार बाद बीजी ढाल छ । तेमां पण आंकणी पूर्वनी ज दर्शावेली छे । गाथा क्रमांक सळंग छे । आम आ कृतिमां बे ढाल कही सकाय । कृतिना प्रारंभे मंगलाचरण अने अंते रचना प्रशस्ति उपलब्ध नथी। प्रत १७मी सदी उत्तरार्धनी होवाना अनुमाने कृतिनी रचना ते पूर्वेनी होवानी अटकळ थाय छ । कृतिना शब्द, प्रास अने रचना उपरथी कर्ता सारा कवि होय तेम जणाय छे। शालिभद्रने सरोवरमा क्रीडा करता राजहंसनी उपमा अने ३२ स्त्रीओने कुसुमनी उपमा तथा मोक्ष संदर्भे शालिभद्रने एक कडीमां कमललुब्ध भ्रमरनी उपमा कविए आपी छे । उपमायुक्त आंकणी पण कृतिनी शोभामां अभिवृद्धि करे छे। सालिभद्र जिसउ मान सरोवर, राजहंस लीला करतउ। बत्रीस रमणीवर कुमर मनोहर, मनवंछित सुख भोगवतउ ॥२॥सालि०... For Private and Personal Use Only

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