Book Title: Shrutsagar 2019 10 Volume 06 Issue 05
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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अक्टूबर-२०१९
॥२॥आंकणी
॥३॥भ०...
॥४॥भ०...
॥५॥भ०...
॥६॥भ०...
॥७॥भ०...
श्रुतसागर
आरज देश उत्तम कुलि पांमी, शिवपूर मारग साधो रे। भवियां श्री नवकार आराधो भरत खेत्रिं पोतनपूर नगरई, श्रावक गुण अभिराम । सुगुप्त नामइं विवहारी पूत्री, श्राविका श्रीमति नाम रे कपटें मिथ्यामती ते परण्यो, न चली मनमां लिगार रे विषधर धरी ते घटमां घाल्यो, मारवा श्रीमती बाल। श्री नवकार तणे प्रभावे, सर्प हुओ फूलमाल रे यशोभद्र श्रावक रत्नपूरीनो, बेटो शिवकुमार। योगीने जीतीने पाम्यो, सोवनपूरी सो सार रे बलराजा बीजोरा माटइं, माणस नित्य मरावइं। जिणदास श्रावक मारी निवारी, श्री नवकार प्रभावइंरे वसंतपूरे जितशत्रु राजा, चंडपिंगल तिहां चोर। कलावति गणिका संभलावइं, आंणी मनमां जोर रे चोर मरी राजकुमर हुओ, कलावती बोलावें। जातिस्मरण पाम्यो पुरंदर, श्रीनवकार महिमाइं रे शत्रुमर्दन मथूरानो राजा, डुंडि चोर सदीव । जिणदत्त श्रीनवकार सुणावई, चोर हुओ जख्यदेव रे पुष्करवरद्वीप त्रीजो जाणो, पर्वत तिहां चउपास। श्रीदमसार साधि सीखवीओ, भीलडी लडी मंत्रसार रे ते परभवें मणीमंदिर नगरे, हुओ राजसिंग कुमार। भीलडी रत्नवती रायकुमरी, पद्मपूरे अवतार रे शुकराजा श्रीपाल नरेसर, राजऋद्धि बहु पामें। इम अनेक वली जगमांहि जूओ, जय वरें सघलें काम रे कामधेनुं चिंतामणि सरिखू, वांछित सुख दातार । रत्नविजय बूध सत्यविजय केरो, वृद्धिविजय गुण गाय रे
इति श्रीनवकार सज्झाय
॥८॥भ०...
॥९॥भ०...
॥१०॥भ०...
॥११॥भ०...
॥१२॥भ०...
॥१३॥भ०...
॥१४॥भ०...
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