Book Title: Shrutsagar 2018 10 Volume 05 Issue 05
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रुतसागर www.kobatirth.org 8 जयनिधान गणि कृत कामलक्ष्मी चरित्र Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अक्टुबर-२०१८ गणिवर्य श्री सुयशचन्द्रविजयजी 'सुख पछी दुःख अने दुःख पछी सुख' आ घटमाळ दरेक व्यक्तिना जीवननी अवश्यंभावी घटना छे। आजे जे व्यक्तिने आपणे सुखी जोईए छीए ते काले सुखी ज हशे तेवुं नथी, तो जे व्यक्तिने आजे दुःखी जोईए छीए ते काले दुःखी होय तेवुं पण नथी । पूर्व संचित कर्मोंने कारणे ज जीवने आवा सुख दुःख प्राप्त थाय छे। जो के महत्तम जीवोने आवा प्रसंगे राग द्वेष थाय छे एटले के सुख मळे तो राग अने दुःख मळे तो द्वेष थाय छे, अने आ ज राग द्वेषनी बुद्धि जीवने फरी नवा कर्मोंना बंधनो करावी संसार समुद्रमां डूबाडे छे। कोई वळी समजु आत्मा आवा सुख दुःखना अवसरे मनने प्रयत्नपूर्वक समभावमां लावी उत्तरोत्तर आत्मगुणना विकास करतो मोक्षसुखनो भोक्ता बने छे। प्रस्तुत कृतिमां कविए सुख दुःखनी आ घटमाळमां फसायेली कामलक्ष्मी ब्राह्मणीना चरित्रने संक्षेपमां आलेख्युं छे । मनवांछित भोगसुखोने मेळववा जीव कई रीते प्रेराय छे? तेनुं, तथा ते मेळववानी तालावेली करतो जीव ज्ञात के अज्ञातपणे केवा अकार्यो करी बेसे छे, तेनुं तादृश चित्रांकन थयेलुं अहीं जोई शकाय छे। प्रान्ते दुःख पछी सुखनी प्राप्ति पण निश्चित छे ज अने ए क्रम मुजब अहिं ब्राह्मणीना जीवने मळता सद्गुरुना संयोगने सुख कहीशुं अने परमपदनी प्राप्तिने सुखनी पराकाष्ठा कहीशुं । कथासार अने कृति परिचय भरत खंडना वसंत नगरमां वेदसार नामनो एक ब्राह्मण रहेतो हतो । ते अद्भुत रूप लावण्यवाळी कामलक्ष्मी नामनी पत्नी हती। पूर्वभवमां उपार्जित करेला कोई पाप कर्मने लीधे ते निर्धन ब्राह्मण भिक्षावृत्तिथी आजीविका चलावतो । एकवार सांसारिक सुखोने भोगवता तेनी पत्नीने ज्यारे गर्भ रह्यो त्यारे बाळकना सूतिकर्मादिने माटे द्रव्यनी व्यवस्था केम करवी तेनी पण ते वेदसारने चिंता थवा लागी । अंते अन्य कोई पण उपाय न मळता गाममांथी भिक्षावृत्तिथी घृत गोळ आदि मांगी लावी ते भेगु करवा लाग्यो। आम केटलोक काळ पसार थये छते एक शुभ दिवसे तेनी पत्नीए पुत्रने जन्म आप्यो । तेओए ते बाळकनुं वेदविचक्षण एवं नाम पाड्यं । I For Private and Personal Use Only एकवार पुत्र जन्मने एक महिनो थता ज्यारे कामलक्ष्मी पाणी भरवा सरोवरे गई त्यारे नजीकनी पल्लिनी सेनाए आवीने गामने लूंट्युं । आ वातथी अजाण ते ब्राह्मणी

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