Book Title: Shrutsagar 2018 10 Volume 05 Issue 05
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 11 SHRUTSAGAR October-2018 प्रायश्चित्त माटे बन्नेने ज्यारे तीव्र तालावेली जागी त्यारे ज त्यां गुरु भगवंत पधार्या । तेमनी अमृतमय वाणी सांभळी प्रतिबोध पामी ते बन्ने दीक्षा लेवा तत्पर थया । दीक्षा बाद गुरुनी शीख हृदयमां धारण करता तप, संयमनुं पालन करता तेओ बन्ने मोक्षसुखना भोक्ता बन्या । उपरोक्त कथा ज प्रस्तुत कृतिमां पद्यरूपे वर्णवायेली अद्भुत रचना छे। कृतिकारनी नोंध मुजब मूळे ऋषभ देशना अने पक्खीसूत्र (टीका ? ) मांथी आ कृति उद्धृ करायेली छे। कथाघटकोने विविध रागोमां तेमज देशीओमां १० ढालरूपे अहीं गूंथी लेवामां आव्या छे। खास करी अहीं काव्यमां जोवा मळती कविनी शब्द पसंदगी, प्रासनी गोठवण, पदार्थ सांकळवानी कला खरेखर कविनी विद्वत्ता माटे मान उभुं करे छे। वळी कृतिना शब्दो रसाळ तो छे ज साथै सरळ पण छे। थोडा शब्दोनो जो आपणे अभ्यास करीए तो प्रासमां के छंद बंधारणमां शब्दने कई रीते प्रयोजी शकाय ते अहीं शिखवा मळशे । काव्यमां जोवा मळता उ, इ के ए ना स्पष्ट उच्चारणवाळा प्रयोगो (दा.त चउ, दूरइं, पालए) तेमज 'आ' कारनी जग्याए अनुस्वारना प्रयोगवाळी (दा.त तिहं-तिहां) लढण पण अहीं जोवा मलशे । प्रान्ते संपादनार्थ प्रस्तुत कृतिना हस्तप्रत फोटोकोपी आपवा बदल श्री अगरचंदजी नाहटा ज्ञानभंडारना व्यवस्थापक श्रीऋषभजी आदि सर्वेनो खूब खूब आभार । खास आवा कथा आलंबनोने पामी, समझी आपणे पण भोगसुखोने त्यागनारा बनीए ए ज शुभेच्छा । जयनिधान गणि कृत श्री कामलक्ष्मी चरित्र Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥८०॥ सरसति सरस सुहामणी, वांणी अमीय रसाल । जिनवर केरी मन धरी, सुखदायक सुविसाल कहिस्युं बंभण' नारिनउ, सुंदर चरीय' विचार । रिसह जिणेसर देसनां, पखीव सुअ [अ]नुसारि विषयारसि राची करी, जे विरचई' नर नारि । आणी निय मनि चेतनां, तरइं तिके' संसार १. ब्राह्मण, २. चरित्र, ३ पक्खिसूत्र, ४. विरत थाय, ५. ते, For Private and Personal Use Only 11211 ॥२॥ ॥३॥

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