Book Title: Shrutsagar 2018 10 Volume 05 Issue 05
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 15 October-2018 मोह... ॥२९॥ मोह... ॥३०॥ ॥३२॥ ॥३३॥ ॥३४॥ SHRUTSAGAR काई हसई९ मोरी सामिणी, तुम्हि अछउ राउनी राणि रे। परमदातार गुणि आगली, कलपलता समी जांणि रे बंभाणी नारि जे मुझ तणी, रूपिहिई तुम्ह अनुसारि रे। तउ पणि अम्ह कुलें ऊपनी, जाचिनइ करइ आहार रे ॥रामचंद कइ वागि-ए ढाल ॥४॥ सपथ करी ते नारी, घर-संकेत कहीरी। वेदसार मनमांहि, हरखित हुओ सहीरी कंता तुझस्युं राग, मुझ मन नितइं वसइंरी। आजु अम्हारउ भाग २, नारी कहइ तिमं(म)हरी७३ आइसुॐ हुं तुझ साथि, अवसर पेखि करीरी। द्रव्य लेई घरि जाहि, साथइं पुत्र धरीरी मूंकी निय घरि पुत्र, आइजे मुज्झ भणीरी। लेइवा प्रियतम वेगि, मोरइ तुहि जि धणीरी द्रव्य लेई तसु पासि, तिम हीं सीख सुणीरी। चलियउ बंभण तेह, नयर वसंत भणीरी अनुक्रमि निय घरि आइ, लिय विश्राम तिणइंरी। पुत्र भणी देइ सीख, दिन संकेत गिणइरी पल्लीपति राय नयरि, बीजी वार गयउरी। नारी लेवा काजि, बंभण सज्ज थयउरी दानसाल ते जाइ, मिलीयउ नारि प्रतइंरी। भोयण करि एकंत, मंत्रण तेह मतइंरी चउदसि केरी राति, काली संझ समइंरी। प्रियात]म चंडी५ गेहि, जाइंवा मन्न रमइंरी ॥३५॥ ॥३६॥ ॥३७॥ ॥३८॥ ॥३९॥ ॥४०॥ ६९. मश्करी करो छो, ७०. रूपथी, ७१. प्रतिज्ञा, शपथ, ७२. नशीब, ७३. तेम, ७४. आवीश, ७५. जा, ७६. आवजे, ७७. लेवा, ७८. चाल्यो, ७९. तेणे, ८०. गणे छे, ८१. गयो, ८२. थयो, ८३. विचारवं, मानवं, ८४. समये, ८५. चंडी देवी, ८६. जवा माटे For Private and Personal Use Only

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