Book Title: Shrutsagar 2018 10 Volume 05 Issue 05
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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॥४१॥
॥४२॥
श्रुतसागर
अक्टुबर-२०१८ तूं पुणि जइ तसु पूठि, बइसे चित्त खरइंरी। पूजानि मिसि सामि, आइसुं देव-घरइंरी
॥सो सामी अरहंत आयो जगगुरु वीर-ए ढाल ॥५॥ बंभण वचन ति मानीयोजी, नारि तणो संकेत। बइंठो जाइ ते तिमइंजी, मोह तणो ए हेतु मोहनी मोहि रही सब लोइं, विषय विषम विष पूरियाजी, चेतइ कोइक जोइं
मोहनी...[आंकणी] ॥४३॥ सांझ समइं चोदसि दिनिजी, रांणी करीय पाखंड। मस्तकि पीड हुई घणूंजी, दरि किई१० ते चंडि
मोहनी...॥४४॥ राजा आगलि इंम कहीजी, बंभणि(णी) वलीय भणंत। सामि चलहु जइ पूजिएजी, चंडी देव महंत
मोहनी... ॥४५॥ नेवज२ कारिय३ तिणि खिणइंजी, राजा रांणी लेय। अश्व चडीनइं चालियाजी, देवघरि पहुता तेय
मोहनी.. ॥४६॥ अश्व थकी ते ऊत्तरीजी, मूल गभारइं जाई। अंजलि सिरि जोडी करीजी, प्रणमइं राय मन भाइं९६ मोहनी...॥४७॥ नारि भणी रायई दियोजी, आपणउ खडग उदार । पूज करी [जोती] करीजी, राजाइं जिण वार
मोहनी...॥४८॥ निरदय बंभणि जे कीयोजी, निसुणो तेह विचार। राजा मस्तक छेदयोजी, खडगइ तीखी धार
मोहनी...॥४९॥ अबलायइं तिणि जे कीयोजी, सबल न करइ कोई। काज अकाज न कांई गिणिउजी, पाप न गिणियो लोइं मोहनी.. ॥५०॥ बंभण निज प्रिय तेडीयो जी, आवो वहिला सामि। बोलाविउ बोलई नहींजी, मनई विमासिउ ताम मोहनी... ॥५१॥ मुझ संकेत न मानीयोजी, राजानइं जाय जोइं। हिवइं किस्यु मई कीजस्यइजी, चिंतातुर मनि होइं मोहन... ॥५२॥
८७. बहाने, ८८. तेम, ८९. चौदसना, ९०. करशे, ९१. चालो, ९२. नैवेद्य, ९३. करावी, ९४. क्षणे, ९५. लईने, ९६. गमी, ९७. ज्योति, ९८. बोलाव्यो, ९९. विचारवं, १००. कराशे
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