Book Title: Shrutsagar 2016 09 Volume 03 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org SHRUTSAGAR September-2016 सरळ छे. कविए पहेली तेमज त्रीजी गाथामां प्रभु दर्शनना फळनी, बीजी तथा चोथी गाथामां प्रभुना विशेषणोनी तथा छेल्ली गाथा स्तवन भणता थता लाभनी तथा श्रीसंघना कल्याणनी वातो गुंथी छे. उपरोक्त त्रणे कृति मारूगुर्जर भाषमां रचायेली लघु रचनाओ छे. अमने ए पण थोडी शंका छे के कदाच पहेली कृतिने बाद करता बाकीनी बंन्ने कृति एकज कर्तानी होवी जोईए जो के तेनुं कोइ चोक्कस प्रमाण अमारी पासे नथी. विद्वानो आ अंगे अमारू ध्यान दोरे. 10 संपादन माटे प्रस्तुत कृतिनी नकल आपवा माटे नित्य-मणि-जीवनज्ञानमंदिर(चाणस्मा)ना ट्रस्टी ओनो तथा चाणस्मावाळा महेशभाईनो खूब खूब आभार. अज्ञातकर्तृक Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धनपुरामंडन अजितनाथ स्तवनत्रय ॥ अर्हं नमः ॥ धनपुरमंडन अजिअनाह, जय जय जय सोहगसिरिसणाह । धन धनपुरसामी तइं करी, तुम्ह भेटिलई तपसइ करी ॥१॥ धन धन ते धनपुरलोअ सामी, जे प्रणमई तुम पय सीस नामि । पहिलइ भवि भूपति गुणनिधान, बीजइ भवि अपराजितविमान ॥२॥ अजोध्या नयरी धरमधामा, तिहि राउ अछइ जितशत्रु मात (नामा) । पटराणी तस विजयाभिधान, सवि धरम करम करइ सावधान || ३ || तस कूखसरोवरि रायहंस, त्रीजइ भवि बीजउ जिणवयंस । वइसाह तेरसि सुदि जिणवयार, राणी तइ चऊद सुपन उदार ॥४॥ सारि-पासि रमइं रामति सभावि, राणी नवि हारइ जिण प्रभावि । माह सुदि आठिम सामि जन्म, सुर जम्म महोत्सव करई रम्म ॥५॥ प्रथम भाषा ॥ हिव व(न)रवर घरि हरिषभरे, अढलिक दीजइ दान तु२ । राउ भवणि वद्धामणां ए, जाणे इंद्रविमान तु२ ॥६॥ गोमिहरा तिहिं मेल्हीइं ए, मागतु कणय कबाहि तु२ I अजूआलउं आणंद सुहसव, कहि तिहूअण माहि तु२ ॥७॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36