Book Title: Shrutsagar 2016 09 Volume 03 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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श्रुतसागर
सितम्बर-२०१६ वंदइ ए जिणनाह पूजइ ए जे जिणनाह, ताह घरि पूज(र)इं संपदू ए अईआ ताह.... वंदइ ए जे जिणनाह, तेह धरि नव नव उच्छवू ए अईआ तेह धरि ॥३२॥ गणधरू ए तपगच्छराउ, श्रीसोमसुंदर सुहगुरु ए अईआ श्रीसोम... जे जंपइं (ए) एह गुरु नाम, तिह घरि सिद्धि हुई सइंवरू ए अईआ सिद्धि..॥३३॥
॥ सप्तमी भाषा॥ ॥ इति श्रीधनपुरामंडन श्री अजितनाथ स्तवनं।
॥स्तवन-२॥
मज्झ मण तुज्झ जिण दंसणे अलजयउं, अजिअ जिण वंदणे मज्झ हिउं गहगहिउँ। हिअडला-कुंपल मेल्हि तुं बापडा, नासि करि जाउ तुम्हे दूरि हिंव पापडा ॥१॥ अररि मह अंगणे सुरतरो मुरीओ, अररि सोवन कलस अमीअ रसि पूरीओ। चीणी साकर दूध माहे भिली, आज मज्झ आठ ए सिद्धि सइंवर मिली ॥२॥ जिम जण-मणहरो साकर सेलडी, तिम प्रभो मूरति मोहणवेलडी। घेवर सेव लाड़ भली लापसी, भोजनि नयन मन आवइ ए उल्हसी ॥३॥ खीर जिम हुइ गुली खांड घी सिउं मिली, तिम तुम्ह दंसणे पुजई ए मनरूली। आज मज्झ उपरे अमीअ घण वूठओ, कामघट काम पूरइ मज्झ तूठओ ॥४॥ भोगपुरंदरो लील अलवेसरो, नयणि मइं दिट्ठ जउ जगत्र परमेसरो।
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