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SHRUTSAGAR
September-2016 गई है।
शब्दालंकार तथा अर्थालंकार का भेद शब्द के परिवर्तनसहत्त्व या परिवर्तनासहत्त्व के ऊपर निर्भर है। जहाँ शब्द का परिवर्तन करके उसका पर्यायवाची शब्द रख देने पर अलंकार नहीं रहता, वहाँ यह समझना चाहिए कि उस अलंकार की स्थिति विशेष रूप से उस शब्द के कारण ही थी। इसलिए उसे शब्दालंकार कहा जाता है।
जहाँ शब्द का परिवर्तन करके उसका पर्यायवाची शब्द रख देने पर भी उस अलंकार की सत्ता बनी रहती है, वहाँ अलंकार शब्द के आश्रित नहीं, अपितु अर्थ के आश्रित होता है, इसलिए उसको अर्थालंकार कहा जाता है। इस प्रकार जो अलंकार शब्द परिवृत्ति को सहन नहीं करता वह शब्दालंकार और जो शब्द परिवृत्ति को सहन करता है वह अर्थालंकार होता है। यह शब्दालंकार तथा अर्थालंकार में भेद है। ___ शब्दालंकार और अर्थालंकार की संख्या के विषय में मतभेद है। मम्मट ने ६१ अर्थालंकार माने हैं। शब्दालंकार की संख्या में वामन आदि ने केवल अनुप्रास और यमक की ही गणना की है। परंतु मम्मट ने उनके साथ वक्रोक्ति, श्लेष, चित्र और पुनरुक्तवदाभास को भी शब्दालंकार माना है। इस प्रकार मम्मट की मान्यता में शब्दालंकार की संख्या ६ हो जाती है।
‘नम्मयासुंदरी कहा' में अन्य तत्त्वों के अलावा काव्य तत्त्व भी खूब भरे हैं। ध्वनि, लक्षणा, अलंकार, रस आदि अत्यधिक मात्रा में हैं। प्रस्तुत शोधलेख में नम्मयासुंदरी कहा में प्रयुक्त अलंकारों की चर्चा की जा रही है।
शब्दालंकर- निम्नलिखित गाथाओं में वर्णानुप्रास अलंकार के उदाहरण द्रष्टव्य हैं
इय निम्माणे रम्मे पूयाबलिवित्थरे महत्थम्मि। हरिसुद्धसिय सरीरो मिलिओ लोओ तओ बहुओ॥७५।।
(इस सुंदर बहुमूल्य पूजा बलि की रचना के अवसर पर अपार हर्ष से रोमांचित शरीर वाला एक बड़ा जनसमुदाय इकट्ठा हुआ।)
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