Book Title: Shrutsagar 2016 09 Volume 03 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अज्ञातकर्तृक धनपुरामंडन अजितनाथ स्तवन संपा. गणिश्री सुयशचंद्रविजयजी कृति परिचय : नागद्दहपुर एटले नागपुर, लंबावटी एटले खंभात, जोधाण एटले जोधपुर आमां जे पहेलुं नाम छे ते गामनुं प्राचीन नाम छे ज्यारे बीजु नाम वर्तमानमा प्रचलित गामनुं हमणानु नाम छे. कदाच आवा नामोने शोधी तेनो संग्रह करवामां आवे तो एकाद शब्दकोश जेवू पुस्तक बने. अहीं आपणे तेवा ज एक गामना नाम माटे सौ प्रथम विचारीशु. मूल अहीं जे स्तवन- संपादन करायु छे ते स्तवन जे गामना भगवानने उद्देशी रचायु छे ते गामनी सांप्रत अवस्था अंगे न विचारीए तो संपादन अधुरु गणाशे. माटे सौ प्रथम धनपुरगाम अंगे विचारीशु. ___अहीं काव्यमां धनपुर-धनपुरा-धनपुरन-धन्यपुर एम सामान्य फेरफार साथे गामना नामनो तेमज ते गाममा बिराजमान श्रीअजितनाथ प्रभुना नामनो उल्लेख मळे छे. आ वात परथी एवं फलित थाय के गामना मुख्य (?) जिनालयमां मूळनायक रूपे अजितनाथ प्रभु हशे अथवा ते प्रभुजीनी प्रतिमा प्रभावशाळी होइ काव्यमां तेमनी स्तुति करवामां आवी हशे. अहीं आपणे धनपुरानुं सांप्रत नाम विचारवा सौ प्रथम अजितनाथ प्रभु मूलनायक रूपे होय तेवू तीर्थ के गाम विचार, पडशे. अथवा बीजु धनपुरा नामर्नु अपभ्रंश रूप थइ कोइ गामर्नु नाम मळतु होय तेवू नाम शोधq पडे. दा.त. वर्धमानपुर- अपभ्रंश वढवाण, झालउरनुं अपभ्रंश झालोर तेनी जेम जे आ बन्ने बाबतो पर विचार करता अमारा ध्यानमां तो एवं कोइ गामनुं नाम याद आवतुं नथी जे धन्यपुरने संगत थाय, कदाच वाचकोमां कोईने आ अंगे ख्याल होय तो अमारू ध्यान दोरे. घणु करी स्तुति-स्तवनादि रचनाओ प्रभुना गुणवैभव- गान करवा माटे थती होय छे. तो थोडी कृतिओमां प्रभु स्तवनानी साथे-साथे ऐतिहासिक बाबतोने जोडी तेमां ऐतिहासिक वैविध्य उमेरातु होय छे. उपरोक्त रचना मुख्य पणे अजितनाथ प्रभुनी स्तुतिरूप रचना छे. परंतु गामना नामनो उल्लेख कृतिनी ऐतिहासिक सामग्री छे. For Private and Personal Use Only

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