Book Title: Shrutsagar 2016 09 Volume 03 04
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्रुतसागर
सितम्बर-२०१६ प्रस्तुत प्रथम कृति सात ढाळनी मध्यम रचना छे. कविए अहिं भाषा शब्दनो प्रयोग विविध देशीओना (रागना) अर्थमां को छे. प्रथम ढाळमां कवि वडे प्रभुना जन्मस्थळनी, माता-पिताना नामनी, च्यवन तथा जन्मनी तेमज देवोए करेला ओच्छवनी विगतो आलेखाई छे. ज्यारे बीजी ढाळमां पुत्रजन्मना वधामणा मळता पिताने थयेला आनंदनी, जन्म महोत्सव रूपे कराता नृत्यनाटकोत्सवनी, स्वजनोना प्रीति भोजननी, परिवारजनोने अपायेल पहेरामणीनी तेमज पासा रमता थयेला विजयथी पुत्रना अजित' नाम संकल्पनी वातो गुंथाई छे. स्त्रीजी ढाळमां प्रभुजीनी कुमारावस्थानी, राज्य अवस्थानी, विवाहित जीवननी तेमज दीक्षा पूर्वेना सांवत्सरिक दाननी विचारणा कराइ छे. दीक्षा लेतानी साथे थता मनःपर्यवज्ञाननी, प्रथम पारणा समये थती दिव्य वृष्टिनी, प्रभुजीना छद्मस्थ पर्यायनी तथा केवलज्ञानसमयनी रजूआत चोथी ढाळमां छे. तो पांचमी ढाळमां कविए समवसरणनी ऋद्धिनु, प्रभुना देह सौष्ठवनुं तेमज यक्ष-यक्षिणी परिवारनी विगत गुंथी छे. छट्ठी ढाळमां प्रभुजीना गणधरोनी, चतुर्विध संघनी संख्यांकित माहिती, प्रभुजीना निर्वाणतप-दिवसादिनी तथा सर्वायुनी विगत जोवा मळे छे. छेल्ली ढाळनी शरूआतनी २ गाथाओमा प्रभुजीनी पूजा-अर्चना संबंधि बाबतो छे. त्रीजी गाथामां कवि द्रव्य फळीभत क्यारे बने ते अंगे सरस खलासो आपे छे. त्यार पछीनी चोथी कडीना पूर्वार्धमां प्रभु दर्शनना हेतुनुं वर्णन छे. पछी- चरण खंडित छे. प्रभुजी बोलता नथी तेवा आक्षेपने कविनो जवाब पांचमी गाथामां छे. प्रभुना स्मरण-पूजन-दर्शनथी थता लाभोनी वात छट्ठी-सातमी कडीमां छे. छेल्ली कडी गुरु स्तुतिरूप छे. पद्यांते कविए क्यांय पोतानुं नाम लख्यु नथी पण सोमसुंदरसूरिजीनी परंपराना तेओ साधु हशे तेवु छेल्ली कडी परथी विचारी शकाय. ___ बीजी कृति पण धनपुर-मंडण अजितनाथ प्रभुना स्तवन रूपे रचायेली रचना छे. प्रभुपूजाथी मळता फळनो चितार काव्यमां अद्भुत रीते आलेखायो छे. कृतिना शब्दो घणा सुंदर छे. 'जागने जादवा' काव्यना लयमां आ कृति गाता अनेरो आनंद आवशे. साथे कृति लयबद्ध रीते वांचता अर्थबोध पण सरळ थइ जशे.
त्रीजी रचना पण धनपुर मंडण अजितनाथ प्रभुना स्तवन रूपे रचायेली रचना छे. जय तिहुअण स्तोत्रना रागे आ कृति गाइ शकाशे. कृतिना शब्दो
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36