Book Title: Shrutsagar 2014 09 Volume 01 04
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तारातंबोलनगरी वर्णन नविन वि. जैन प्रस्तुत लेख संग्रहमां अलग-अलग ग्रंथोमांथी लेखोनु संकलन करवामां आव्यु छे, अलग-अलग नगरीओना नामो, अंतर तेमज नगरीओनुं माप, त्यांनी बीजी पण जाणवा जेवी अनेक रोचक बाबतो आपवामां आवी छे, एनी सत्यासत्य हकीकत उपर वाचक वर्ग विचार करे अने इतिहासना अभ्यासीओने ए संबंधी कंइक शोध-खोळ करवामां उपयोगी थशे ए हेतुथी अहीं प्रगट करवामां आव्या छे. प्राचीन तारातंबोलनगरी ऐतिहासीक वर्णन तारातंबोल नगरीनुं वर्णन करतां नीचे मुजबना केटलाक हस्तप्रत ग्रंथो आ.श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरना संग्रहमांथी मळ्या छे. प्राचीन माहितीओ ऐतिहासिक अने उपयोगी जणाय छे. अगाउ जैन सत्यप्रकाश मासिक वर्ष-४ अंक३ मां संग्राहक-मुनिराज श्री कांतिसागरजी द्वारा अने बीजो पत्र वर्ष-६ अंक-६ मां संग्राहक-श्रीयुत सागरमलजी कोठारी द्वारा प्रकाशित करवामां आवेल छे ए बन्ने लेखो अने अहीं प्राचीन ग्रंथोमांथी आपेल माहितीमां केटलीक साम्यताओ साथे केटलीक माहितीओमा खास्सो तफावत छे. श्रीसागरमलजीना लख्या प्रमाणे तेमनाज शब्दोमां “कुछ मास पूर्व 'श्री जैन सत्य प्रकाश में तारातंबोलनगर विषयक पत्र प्रगट हुए थे। उस समय कहा गया था कि अगर अन्य किसी ग्रंथ में इस घटना से सम्बन्धित साहित्य हो तो प्रकाश में लाया जावे ताकि इस सम्बन्ध की ऐतिहासिक खोज की जाय”। तेओना आ कथनथी आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानभण्डारमांथी मळेल हस्तलिखित प्रतोना आधारे नीचे मुजबना जुदा-जुदा ग्रंथोमांथी, ग्रंथनी भाषा यथावत् राखी माहितीओनुं संकलन करवामां आव्यु छे. जे संशोधननी दृष्टिए पण आनु शुं मूल्य होई शके ए जोवानुं रहे छे. छतां आ वर्णनो भाषानी दृष्टिए के एवी बीजी कोई दृष्टिए विद्वानोने उपयोगी थई पडशे एम लागवाथी अहीं तेने प्रस्तुत करवामां आव्या छे. प्रत नं.३७३३९ पत्रांक नं. १A-RA ॥ अथ तारातंबोलनगररी वात लिखीयै छ । संवत् १६८४ मिती मिगसर वदि १३ पातसाह श्रीसाहजाह दिल्ली राज करै ते समै की बात छै मुलतान को वासी जात को ष(क्ष)ली नाम ठाकुर वुलाकी तिहां देसां For Private and Personal Use Only

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