________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
पुस्तक नाम
कर्ता
प्रकाशक
प्रकाशन वर्ष
मूल्य
भाषा
www.kobatirth.org
पुस्तक समीक्षा
: ४००/
: हिन्दी
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
: जैन आचार मीमांसा में जीवन प्रबन्धन के तत्त्व
: मुनि श्री मनीषसागरजी म. सा.
: प्राच्य विद्यापीठ, दुपाड़ा रोड,
: ईस्वी सन् २०१३
डॉ. हेमन्तकुमार
For Private and Personal Use Only
शाजापुर-४६५००१
मुनिश्री मनीषसागरजी म. सा. द्वारा लिखित जैन आचार मीमांसा में जीवन प्रबन्धन के तत्त्व एक विशालकाय ग्रन्थ है. पूज्यश्री ने विशाल जैनसाहित्य का आलोकन कर उसमें से अमृतमयी जीवन प्रबन्धन के तत्त्वों को निकाला है. १४ अध्यायों में विभक्त प्रस्तुत ग्रन्थ में जीवनोपयोगी जीवन प्रबन्धन, शिक्षा प्रबन्धन, शरीर प्रबन्धन, अभिव्यक्ति प्रबन्धन, तनाव प्रबन्धन, पर्यावरण प्रबन्धन, समाज प्रबन्धन, अर्थ प्रबन्धन, भोगोपभोग प्रबन्धन, धार्मिकव्यवहार प्रबन्धन एवं आध्यात्मिकविकास प्रबन्धन जैसे समसामयिक विषयों को एक-एक अध्ययन में बड़े ही सूक्ष्मतापूर्वक विवेचित किया गया है. वैसे तो इस ग्रन्थ का प्रत्येक अध्याय एक पूर्ण ग्रन्थ है, क्योंकि उसमें न केवल उस उस विषयक जैन साहित्य में आगत विषयों का संकलन किया गया है, अपितु उसका वर्तमान सामाजिक समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण कर जीवन की गुणवत्ता को संवारने में उसकी उपयोगिता और आवश्यकता भी प्रतिपादित की गई है. इनमें से प्रत्येक विषय से संबंधित अलग-अलग सूचनाएँ तो मिलती थी किन्तु एक विषय समूह के रूप में इन सभी को एक साथ कलमबद्ध करके एक सूत्र में पिरोना अपने-आपमें असाधारण उपलब्धि है.
प्रस्तुत् ग्रन्थ पूज्य मुनिश्री का शोध प्रबन्ध है. इस शोध प्रबन्ध पर उन्हें जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, लाडनूं के जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म दर्शन संकाय द्वारा पीएच. डी. की उपाधि से विभूषित किया गया है. प्रस्तुत् शोध प्रबन्ध में पूज्यश्री ने यह प्रमाणित करने का प्रयास किया है कि जीवन प्रबन्धन के तत्त्व केवल पाश्चात्य