Book Title: Shrutsagar 2014 09 Volume 01 04
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 24 SHRUTSAGAR SEPTEMBER-2014 जानकारी कुछ ही क्षणों में प्राप्त हो जाती है. यदि किसी वाचक को उत्तराध्ययनसूत्र के ऊपर रचित सभी टीकाओं के विषय में जानकारी प्राप्त करनी हो तो लायब्रेरी प्रोग्राम की कृति माहिती में उत्तराध्ययनसूत्र+टीका टाईप करके शोध करने से उसकी टीकारूप सभी पुत्र कृतियों की सूची देखने को मिलती है. उस सूची में वांछित टीका के विषय में विस्तृत जानकारी, जैसे-उसकी भाषा, उसके कर्ता, कर्ता की गुरुपरम्परा, उस कृति का आदिवाक्य, अन्तिमवाक्य, उसके परिमाण, उसका रचना वर्ष; इसके अतिरिक्त वह कृति कहाँ से प्रकाशित हुई है?, उसके अतिरिक्त वह कृति किस पुस्तक अथवा सामायिक के किस अंक के कौन से पृष्ठ पर प्रकाशित है? यदि वह कृति अप्रकाशित है तो कौन से हस्तप्रत के किस पृष्ठ पर उपलब्ध है? इस प्रकार की सारी जानकारियाँ कुछ ही क्षणों में प्राप्त हो सकती है. ___ इस सुविधा से वाचक को उनके अभ्यास हेतु वांछित कृति से सम्बन्धित प्रकाशन, मैगजिन व हस्तप्रत अतिशीघ्र प्राप्त हो सकते हैं, अपने बचे हुए समय का सदुपयोग वे उनके द्वारा किये जानेवाले अध्ययन, अनुवाद, संशोधन, सम्पादन आदि कार्यों में कर सकते हैं, जिससे उनके कार्य में गति मिलती है. ___ यदि वाचक को कृति का नाम, कर्ता का नाम आदि कुछ भी याद न हो, मात्र कृति का कुछ प्रारंभिक अंश ही याद हो, तो उसके आधार पर भी कृति की शोध की जा सकती है. जैसे - वाचक को यदि संजोगा विप्पमुक्कस्स अणगारस्स' इतना ही याद हो तो इसके आधार पर उन सभी कृतियों की सूची देखी जा सकती है, जिनका प्रारम्भ उपर्युक्त वाक्य से होता हो, इस प्रकार वाचक को इस आदिवाक्य से प्रारम्भ होनेवाले उत्तराध्ययनसूत्र मूल कृति तथा उस कृति से जुड़े प्रकाशनों, हस्तप्रतों तथा अंकों के विषय में शीघ्र ही जानकारी प्राप्त हो सकती है. यदि वाचक को उत्तराध्ययनसूत्र के ऊपर भावविजयजी के द्वारा रचित अधिरोहिणी वृत्ति चाहिए तो कृति नाम के बॉक्स में उत्तराध्ययन तथा विद्वान नाम के बॉक्स में भावविजय टाईप कर शोध करने से उपर्युक्त वृत्ति क्षणमात्र में मिल जाती है. इस प्रकार ज्ञानमन्दिर का यह लायब्रेरी प्रोग्राम वाचकों तथा संशोधकों के लिए एक कल्पवृक्ष के समान है, जिसकी सहायता से उनका अध्ययन, संशोधन आदि कार्य हेतु अत्यल्प समय में अधिकाधिक सूचनाएँ प्राप्त हो सकती है. यदि वाचक को किसी विद्वान के द्वारा संशोधित अथवा सम्पादित प्रकाशनों में से कोई प्रकाशन चाहिए तो प्रकाशन नाम में पुस्तक का नाम तथा विद्वान नाम में उस विद्वान का नाम देकर शोध For Private and Personal Use Only

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