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श्रुतसागर
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तारा तंबोलनी चिट्ठी
एक नगरनुं दंतकथा जेवुं वर्णन आपतो एक प्राचीन पत्र
सितम्बर २०१४
संग्राहक - मुनिराज श्री कांतिसागरजी
“स्वस्ति श्रीगाम अमदावाद महासुभस्थानके पूज्य राधे श्री५ श्री अनेक सर्वे ओपमा लायक तीरथरूप भाई रतनचंद, एतान श्री हेदराबादथी लिखी भाई पदमसीनो प्रणाम वांचसोजी, अमो अमारा कुटुंब सहित दूर देशांतरनी यात्रा करवा सारू सं.१८०५ की सालमां गयेल तेनी हकीकत प्रथम श्री अमदावादथी कोस ४८०० श्रीतारातंबोल शहर छे तेनी विगत संभलावे छे.
१. प्रथम श्री अमदावादथी कोस ३०० आगरा शहर छे.
२. तेहां थकी कोस ३०० श्री लाहोर शहर छे,
३. त्यों थकी कोस १५० श्री मूलतान शहर छे,
४. त्यां थकी कोस ३५० बंदर शहर छे,
५. त्यां थकी कोस ९०० श्री आसापुरी नगरी छे तेना बाजार कोस १२ ना छे,
६. त्यां थकी कोस ७०० गया एटले श्री तारातंबोल शहर छे, तेनी हकीकत संभलावे छे. श्रीमुकुटस्वामीनी मुरती छे, ते मुरती पबासण उपर बीने' आधारे छे, ते मुकुटस्वामीनी मुरती चोडी हाथ २८नी छे, तेनो उंचपणो हाथ ३८नो छे, तेना पगना अंगोठा उपर श्रीफल नंग २८ रहे छे, तेनी जात्रा करीने हमें आगल चाल्या ते
७. तेहां थकी कोस ६०० गया एटले तलाव नग १ मोटो आवे छे तेनी वचेवच श्री अजितनाथजीनो देवरो छे, तेहां अमे नावडामें बेसीने दरसण करवा गया हता त्यां श्री अजितनाथजीनी प्रतिमा चोडी हाथ ६नी छे. तेनो उंचपणो हाथ १०नो छे, तेनी जात्राने हमो आगल चाल्या.
८. त्यां थकी कोस ५०० गयां तेयां तलंगपुर नग्र आवे छे, ते नग्र कोस ५० नो छे. तेहां जीन परसादना देहरा नग २८ छे. तेहांथी आगल चाल्या के श्री चंदाप्रभुजीनुं देवरो मोटो छे. तिहां देरासरजी मध्ये श्रीजिनप्रतिमा नग १२८ छे, तेना दरसण करीने हमां आगल चाल्या.
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९. त्यारे कोस ७०० गया के श्री नवापुरी पाटणनामे सेहेर छे.
१०. तेनी आगल कोस ३०० गया एटले बीजु तारातंबोल शहर घणो ज मोटो छे
१. वगर