Book Title: Shrutsagar 2014 09 Volume 01 04
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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SHRUTSAGAR
SEPTEMBER-2014 राजाधिराज राजा महाराजा श्री सुरचंद राज्य विद्यमान करे , ते नगर ४६ कोस(से?) लांबो छे ३६ कोसनो चोडो छे ४८ कोसनो बाजार लांबो छइ नगरने आसपास चोकफेर कोट लांबानो छे. (राजाने?) आसपास कोट अष्टधातुनो छः तिहा राजा जैन धर्म पाले छ तिहां सर्व (जैन देहरा ज छे सर्वविद?) भाषित धर्म छई तिहां जैनना देहरा ७०० सिखरबंध छइं पंक्तिबद्ध बाजार मैं बेहु तरफ छे (ते नगरने मध्य?) मोटो चोक छे. ते चोकनें मध्ये श्री आदिनाथजीनो देहरो छे. बे २ कोसनो विस्तारे छे ते देहरानि (पीठीका सोनानी छे.?) उपरि काम रुपानो छइ थंभा सोनाना छइ: प्रतिमा सोनानि छइ: प्रतिमा काउसग्गे छे प्रतिमा एकसो आठ धनुषनी छइ: उची छइ: बिंदी सोनानि छइ: सिहासन जडावनो छे देहराने आसपास ७२ चैत्यालय छे तेल पुजा थइ छइ: (ए)ह मांहि तिन चोवीसीनी प्रतिमा छे तिहां त्रिकाल पुजा थाइ छे माहामुनिश्वर दिगंतर सदा सर्वदा विराजमान छइ: राजा नित्य प्रेते देहरें आवी जिनवाणी सांभलें देहरे जई नाही पुजा करि मुनिश्वरने आहार दान देईने जीमे छइ: तिहा एक जैन धर्मनो महिमा छे बिजा (लिंग नहीं?) छे ए रीतें सदा जैनधर्म विद्यमान छे तारातंबोल नगरने आसपास मोटी नदि सिधु वहे छे ते नदिनो मोटो विस्तार , ए वार्ता मुलतांननो वासी ठाकुर बूलाखीइं वात कहि ते लखी छे अम्मदावादथी तारातंबोलनो ठीक कीधो त्यारें ५६०० कोस जमी छइ: ए कागल आगराथी लख्यो आव्यौ ते देखीने लखो छइ: ति पूर्वे बीजें पण लोकें ए वातनी साखि भरी उदेपुरनो वासी हुबडज्ञातीय कालुया राघवदास काबिल गयो हतो तेणे पण वार्ता सांभलि हिति: इति वार्ता संपूण्ण.
प्रतिलेखक परिचय-प्रतिलेखक विद्वाननुं नाम उपलब्ध नथी. प्रतिलेखन वर्षविक्रम १९मी अनुमानित. प्रतिलेखन स्थल-उपलब्ध नथी. प्रत परिचय-प्रत नं. २८२८२ जे संपूर्ण छे, प्रतमां ९ कृतिओनुं संकलन थयेल छे. प्रतनुं माप-२८.५४१४ से.मी. छे. कुल पत्र संख्या-७, पंक्ति संख्या १९-२०, प्रति पंक्ति अक्षर लगभग ३७-४२ छे, प्रत दशा-पाणीथी विवर्ण छे अने अक्षरोनी स्याही फेलाई गयेल छे. तेथी केटलाक शब्दो दुर्वाच्य छे. वास्तविकतानी नजदीक पहोंचवानो पूरतो प्रयास कर्यो छे. न उकेलायेला अक्षरो-वाक्योने ब्रेकेटमा प्रश्नार्थ साथे मूकेल छे. जे योग्य करी वांचवा भलामण. ___ उपरोक्त लेखो वाळी प्रतो कोबा-आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरमां सुरक्षित छे. उपरोक्त लेखो जे ऐतिहासक छे अने संशोधन-संपादन करता विद्वानोने खुब ज उपयोगी माहिती पुरी पाडवामां सहायभूत थशे ए आशयथी अहिं प्रगट कर्या छे. लेखो प्रायः अप्रकाशित होवा संभव छे.
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