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SHRUTSAGAR
SEPTEMBER-2014 तत्रोदयप्रभसुरि(उदयप्रभसूरि) नामा आचार्य , :तत्र सर्व जैनमय छ : पठे तो परमेश्वर जाणे : वर्ष १० नो भोजक गयो हतो ते वर्ष ८० थयां दूर देशांतर फरतां-फरतां वृध थयो वर्ष ९० नो त्यारे इहां आवी सर्व वार्ता लखावी ते सही छै :
प्रतिलेखन पुष्पिका:-संवत १७८५नावर्षेमाहशुदि ९ दिने वार भृगुई(शुक्रवार) लख्यू , आगलोड मधे शुभं भवतुः
प्रतिलेखक परिचय-प्रतिलेखक विद्वाननुं नाम उपलब्ध नथी. प्रतिलेखन वर्षवि.सं.१७८५ ना वर्षे माह शुदि ९ दिने वार भृगुईं (शुक्रवार) दिने प्रत लखायानो उल्लेख छे. प्रतिलेखन स्थल-आगलोड मध्ये. प्रत परिचय-प्रत नं. २८५५३ जे संपूर्ण छे, प्रतमां लण कृतिओनु संकलन थयेल छे. प्रतनुं माप-२१४१२ से.मी. छे. कुल पत्र संख्या-१, पंक्ति संख्या १७, प्रति पंक्ति अक्षर लगभग ३२ छे, अक्षर सारा-वाच्य छे.
प्रत नं.९९० पेज-१A
१. लाहोरथी गाऊ १५० मुलतान तिहांथी २. गाउ ३०० खंधार तिहाथी ३. गाउ ९०० इसपन्न तिहां तिलंगी पातिसाह राज्य करै छइं तिहाथी ४. गाउ ७०० सामनगर तिहांथी ५. गाउ ८०० सताननगर बारकोस को नगर तिहाथी ६. गाउ ६०० खुरासाण कोस पनर को नगर तिहाथी
७. गाउ २०० ईसतंबोल बहोतर ७२ कोस को नगर ४८ कोस को बाजार रोमी पातिसाह राज्य करै छई छ? महिने बाहिर नीकलै छै चोवीस लाख २४ कटक त्रिणलाख गुलाम ३ लोहनो कोट तिहाथी
८. गाउ ५०० बबरकोट जिहां हीर थाइं छै तिहांथी।
९. गाउ ७०० तारातांबनगर राजा सूरचंद राज्य करै छई ४० कोस को नगर तांबा को कोट छै २४ कोस को बाजार सुवर्ण मै देहरा रत्ननी प्रतिमा छइं तिहां जैनधर्म छई ते सही ए वात क्षत्री बुलाखीदास मुलताननो वासी ते जई आव्यो तेणें कह्यों ते लिख्यु छै सही तिहाथी आगै समुद्र नजीक छै लाहोरथी साढाछप्पनसें गाउ जईई तिवारै जैनधर्म पांमीई ते सही करी मानज्योजी इति संपूर्ण. छः छः.....
मूल प्रतना प्रतिलेखकनो परिचय-नाम-गणि श्री ईसरविमल छे. तेओश्रीना
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