Book Title: Shravak Nitya Krutya
Author(s): Jinkrupachandrasuri
Publisher: Nirnaysagar Press
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( १४० )
दी | उत्तम गुण निरुक्तथी | लहोचरणनो खादजी न० ॥ १८ ॥ सघन करमतमहरणकुं । भानुसमोतपजाणजी ॥ कषायरहित वारभेदछै । तपपदमनमांआणजी न० ॥ १९ ॥ ( ढाल ) तीजी ॥ कपूर हुवे अतिऊजलोजी एदेशी । एनवपदजिनधर्मनोजी, सारभूत कहिवाय, सिवसुखनोकारकसहीजी, आराधो गुरु सहाय, भविकजनसेवो जिनउपदेश, पभणे प्रथमगणेश, भ० ॥ ॥ २० ॥ ए नवपदथी नीपजैजी, सिद्धचक्रयंत्रराज, आराधिने सुखलोजी, जिम श्रीपालमाहाराज, भ० से० ॥ २१ ॥ तब पूछे मगधेसरूजी, कुणश्रीपालनरेश, किमआराधिसुखपामीयोजी, करुणाकरो गणेश भ० से० ॥ २२ ॥ गौतमस्वामि उपदिशेजी, निसुणो श्रोणिकराजान, चंपानगरीनोराजीयोजी, श्रीपालनामसुजाण भ० से० ॥ २३ ॥ उंबररोगेपीडीयोजी, परणि राजकुमारी, उज्जयणीमाजूहा रियाजी, रिषभेश्वर मनुहारी भ० से० ॥ २४ ॥ मुनिचंद्रगुरुउपदेशथीजी, आराध्यो सिद्धचक्र, रोगगयो वलिसुखलह्योजी, संपदापामी जिमशक भ० से० ॥ २५ ॥ नवपद ओली आंबिलतणीजी, नवराणीनेसाथ, उज्जमणो पूरण हुवांजी, करि खरच्यो घणो आथ भ० से० ॥ २६ ॥ नवपडिमा - देरासरुजी, नवजीरणउद्धार, पहिलोपदआराधियोजी, नवपूजा मनुहार भ० से० ॥ २७ ॥ इमनवपद विस्तारथीजी, पूंजी लह्यो सुखसार, आयुपूरण करि ध्यानथीजी, नवमे स्वर्ग अवतार भ० से० ॥ २८ ॥ इमश्रीपालनाभवथ कीजी, नवमेभव सहु सार, निरुपम शिव सुख पामशेजी, कहे गौतमगणधार भ० से० ॥ २९ ॥ श्रेणिक सुणि हरखित थयो जी, प्रभुजीना वांद्या
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178