Book Title: Shravak Nitya Krutya
Author(s): Jinkrupachandrasuri
Publisher: Nirnaysagar Press

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Page 167
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१५८) पोष दशमि पार्श्व प्रभु जन्म्या । इग्यारस संजमलीधो । चंद्र जन्म बारसने दिवसे । तेरस व्रत मन कीधोरे ॥ सु० ॥ १८ ॥ चउदश शीतलज्ञानग्रह्योहे । सुदि छठविमल नाण पायो । नवमी सांति नाण सुखदाई । इग्यारस अजितनाणआयोरे ॥ सु० ॥ १९ ॥ अभिनंदन चवदश दिन सुंदर । केवलज्ञान कहाई । धर्म जिनेश्वर पोषी पूनिम । केवल लह्यो वरदाईरे । सु० ॥ २० ॥ इति पोष मास० ॥ छठ पद्मप्रभु चवनकल्याणक । वारस शीतल जन्म जांण । शीतल नाथनी द्वादशि दीक्षा । तेरस रिषभ निर्वाणरे ॥ सु० ॥ २१ ॥ अमावश श्रेयांस केवलपायो । सुदिबीज अभिनंदनजाया । वासुपूज्य नाण धर्म विमल जिन । तीज जनम कहवायारे ॥ सु० ॥ २२ ॥ चोथ विमल जिन संजमधारी । आठम अजित जन्मलीनो । नवमीदीक्षा अजित अभिनंदन । द्वादशि संजम लीनोरे ॥ सु० ॥ २३ ॥ त्रयोदशि धर्मजिन दीक्षा । माघ मासमें जाणो । श्रीजिनकृपाचंद्रसरिसेवो । परमारथ पहिचाणोरे ॥ सु० ॥ २४ ॥ इति माघ मास ॥ (ढाल० ॥३॥) यात्रीड़ा यात्रा नवाणुं करियेरे ॥ एदेशि० ॥ सुज्ञानी कल्याणक तप करियेरे । एतो करिये तो भवजलतरियै ॥ सु० ॥ टेर० ॥ बारे पूनिम पर्व बखाणोरे । कल्याणक तप मन आंणोरे । फागुन मास मांहें तुमे जाणो ॥ सुज्ञानीकल्याणक तप करियेरे ॥ २५ ॥ वदि छठ सुपार्श्वज्ञान पायोरे । सातम निर्वाण कहायोरे । सातम चंद्रज्ञानसुहायो ॥ सुज्ञानी कल्याणकतपकरियेरे ॥ २६ ॥ नवमी सुविधीचव्यानगीनोरे । एकादशिरिषभज्ञान लीनोरे । श्रेयांश बारस जन्म लीनो । सुज्ञानी कल्याणक तप करियेरे॥ २७ ॥ मुनि For Private And Personal Use Only

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