Book Title: Shravak Nitya Krutya
Author(s): Jinkrupachandrasuri
Publisher: Nirnaysagar Press
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(१६१)
(कलश.) संवउगणीसेइठंतर-अक्षयत्रितीया दिनभले । झाबुवानगरे स्तवनकीधो आदिजिनसुपसाउले । श्रीगच्छखरतरगुणपुरंदर जिनवरणानोरसी। श्रीजिनकृपाचंद्रमरिसेवो धर्ममनमें उल्लसी ॥४९॥ इति पूर्णिमां बृहत्स्तवनम् ॥
(अथ मांडवगढ़ना शांतिनाथजीनो स्तवनलि०)
रागमाड़ सुणो शिवपुरस्वामी अंतरजामी सारो अमारोकाज ॥ आ० सोलमजिनअचिराजीके नंदा । विश्वसेननरराज । सुद्धस्वरूप धारक सुखकारक । तीनभुवन सिरताजरे ॥ (सु० ॥१॥) जनमसमय प्रभु मारिनिवारी । शांतिनाम सुखसाज । जगतजीव जीवन सुखकारण । प्रगटे गरिबनिवाजरे ॥ (सुणो० ॥२॥) महागोप महामाहण जगपति । निर्यामक जिनराज । भवअटवि सत्यवाह सुहंकर । प्रभुदरशण लह्यो आजरे ॥ (सुणो० ॥ ३ ॥) मांडवगढ़पति शांतिजिनेसर । श्रीसुपार्श्वमहाराज । उगणीस गुणयासीमेरु । तेरसदिन सुसमाजरे ॥ (सु॥४॥) मावभले प्रभु भेटियारे । इंदोरसंघके साज । जिनकृपाचंद्रसरिसदा । प्रभु सेवाथी शिवराजरे ॥ सुणो० ॥ ५॥ इति स्तवनम् ।।
११ श्रा० नि.
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178