Book Title: Shravak Nitya Krutya
Author(s): Jinkrupachandrasuri
Publisher: Nirnaysagar Press

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Page 152
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १४३ ) + पामो नाण सुहुंकरु । भाखै जगनाईश || ३ || ( ढाला ) कपूर हुवै अति ऊजलोजी ॥ ए देशी || ज्ञानआराधो भविजनाजी । आणि भक्तिअपार, पांचज्ञानप्रगटायवाजी । पंचमीसेवोउदाररे, प्राणि जिनवाणीमन आण, अनुपमसुखनीखाणरे ॥ प्रा० जिन० ॥ १ ॥ नाण बडो संसारमांजी, ज्ञानथी मुगति थाय, ज्ञानदीपक सम जाणियेजी, सर्व लोक प्रगटायरे ॥ प्रा० ॥ जिन० ॥ २ ॥ दिव्यज्ञानलोचनकह्योजी, लोकालोकदेखाय ॥ ज्ञानविनापशुसारिखोजी, जाणे नहीं नर कांयरे ॥ प्रा० ॥ जिन० ॥ ३ ॥ ज्ञान आराधकसर्वथीजी, किरिया देशविचार, भगवति सूत्रमां भाखियोजी, आठमें शतक मझाररे ॥ प्रा० ॥ जि० ॥ ४ ॥ अज्ञानी क्रोड वरसमांजी, तप करि निर्जरा जेह, ज्ञानी स्वासोखासमांजी, कर्मक्षय करे तेहरे ॥ प्रा० ॥ जि० ॥ ५ ॥ ज्ञानतणो अधिकार छे जी, नंदीसूत्र मझार, क्रिया सहित ज्ञान सुंदरूजी, मोक्षतणो दाताररे ॥ प्रा० ॥ जि० ॥ ६ ॥ जिमसोनो सुगंधथीजी, रत्नमुंदडी ये जाण, संख सोहे दूधे भर्योजी, तिमकिरयायुतनागरे ॥ प्रा० ॥ जि० ॥ ७ ॥ महानिसीथमां है कह्योजी, पंचमीविधिविस्तार, वीरजिनंदे दाखियोजी, सूत्रैश्रीगणधाररे । प्रा० । जि० |८| ( ढाल बीजी ) सखि आजअनोपमदीवालि || एदेशी ॥ ज्ञान आराधी संपदासाधी, निजगुणनो एउपगारी, सखि नाण सुहंकर गुणकारी ॥ ९ ॥ पंचमी तप विधियुत भवि करकै, नाणने सेवो इकतारी || स० ना० ॥ १० ॥ मगसर माह फागुण बैसाख, जेठ आषाढने दिलधारी ॥ स० ना० ॥ ११ ॥ एषदमासे विधियुत लीजे, शुभदिन गुरुमुखथी सारी ॥ स० ना० ॥ १२ ॥ देववंदनदेहरासर For Private And Personal Use Only

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